क्या वित्त मंत्री ने नौकरीपेशा को कुछ देने से ज्यादा वापस ले लिया. उन्होंने सैलरीड क्लास को मिलने वाली ट्रांसपॉर्ट अलाउंस और मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा वापस ले ली.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को बजट पेश किया. नौकरीपेश लोग इस बजट से निराश हैं. इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ. टैक्स छूट के नाम पर स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. लेकिन, क्या वित्त मंत्री ने नौकरीपेशा को कुछ देने से ज्यादा वापस ले लिया. उन्होंने सैलरीड क्लास को मिलने वाली ट्रांसपॉर्ट अलाउंस और मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा वापस ले ली. आपकी आयकर पर लगने वाला सेस भी बढ़ा दिया. बस छूट दी तो स्टैंडर्ड डिडक्शन के नाम पर. हालांकि, वरिष्ठ नागरिकों को खुश करने की कोशिश की. महिला कर्मचारियों को ईपीएफ में पहले तीन साल के दौरान योगदान घटाकर 8 फीसदी किया. अब महिलाओं को ज्यादा पैसा हाथ में मिलेगा. इसके साथ ही उन्होंने इक्विटी पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगा दिया.
आइए जानते हैं बजट में ऐलान की गई उन 10 बातों को समझते हैं जो इनकम टैक्स भरने वालों के लिए जरूरी हैं.
1. इनकम टैक्स स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं
पिछले तीन साल में सरकार ने पर्सनल इनकम-टैक्स रेट में कई सकारात्मक बदलाव किए हैं. इसी का तर्क देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में इनकम टैक्स के स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया.
2. मेडिकल रीइंबर्समेंट और ट्रांसपोर्ट अलाउंस हटाया
बजट में मौजूदा सालाना 19,200 रुपए ट्रांसपोर्ट अलाउंस और 15,000 रुपए मेडिकल रीइंबर्समेंट पर टैक्स छूट हटाने का प्रावधान किया. पहली नजर में टैक्स से छूट वाली इनकम और लाभ-हानि मिलाकर देखा जाए तो यह केवल 5,800 रुपए बैठती है. इस इनकम पर प्रत्येक कर्मचारी के लिए कितना कर बचेगा यह उसके टैक्स स्लैब पर निर्भर करेगा. जैसे, अगर किसी की आय 5 लाख रुपए से ज्यादा है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन, अलाउंसेज हटाने और सेस बढ़ाने के बाद भी कुछ पैसा बचेगा.
3. स्टैंडर्ड डिडक्शन दोबारा शुरू
बजट 2018 में नौकरीपेशा लोगों को इनकम से 40,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया गया. स्टैंडर्ड डिडक्शन एक ऐसा अमाउंट होता है जिसे कर योग्य आय की गणना से पहले ही सैलरी इनकम से घटा दिया जाता है. पहले यह इनकम-टैक्स ऐक्ट का हिस्सा था पर 2005-06 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इसे वापस ले लिया था.
4. इनकम टैक्स पर सेस बढ़ाकर 4% किया
बजट 2018 में आयकर पर लगने वाले सेस को 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया गया. इसके बाद अब सभी श्रेणियों के करदाताओं को ज्यादा कर चुकाना होगा. इस बदलाव के कारण कर देनदारी सबसे ऊंचे टैक्स ब्रैकेट (15 लाख रुपए इनकम) के लिए अब 2,625 रुपए होगी. मिडिल आयकरदाताओं के लिए (5 लाख से 10 लाख रुपए के बीच) कर देनदारी बढ़कर 1,125 रुपए हो जाएगी. वहीं, सबसे नीचे वाले टैक्स ब्रैकेट (2.5 लाख से 5 लाख रुपए के बीच) के लिए यह बढ़कर 125 रुपए हो जाएगी.
5. नई महिला कर्मचारियों के लिए 8% EPF योगदान
बजट में महिलाओं को खुश करने की कोशिश की गई. वित्त मंत्री ने महिला रोजगार को प्रोत्साहन देने पर जोर दिया. उन्होंने कहा इससे महिलाओं की आमदनी बढ़ेगी. इस फैसले के मुताबिक, पहले तीन साल के दौरान महिला कर्मचारियों का EPF योगदान घटाकर 8 फीसदी किया गया. जो फिलहाल 12 फीसदी या कहीं 9 फीसदी है. हालांकि, नियोक्ता के योगदान में कोई बदलाव नहीं होगा.’ इसके अलावा EPFO के तहत नए कर्मचारियों को सरकार की ओर से 12 फीसदी योगदान दिया जाएगा.
6. LTCG पर 10% टैक्स
वित्त मंत्री ने बजट 2018 में लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स लगाया है. एक लाख रुपए से अधिक के लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर 10 फीसदी टैक्स देना होगा. इसमें कोई भी इंडेक्सेशन बेनिफिट नहीं मिलेगा. हालांकि, 31 जनवरी से पहले खरीदे गए शेयरों की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. मौजूदा नियमों में इक्विटी और म्युचुअल फंड्स की बिक्री से मिलने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स को टैक्स से पूरी तरह छूट मिली हुई है.
7. वरिष्ठ नागरिकों को किया खुश
वरिष्ठ नागरिकों को बजट से कई अच्छी खबरें मिली हैं. सेक्शन 80D के तहत वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट सीमा 30 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए की गई.
8. वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज पर भी टैक्स छूट
वरिष्ठ नागरिकों को बैंक और पोस्ट ऑफिस में डिपॉजिट राशि पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 10,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपए की गई. नया नियम सभी प्रकार की FDs और RDs पर लागू होगा.
9. वरिष्ठ नागरिकों के लिए और भी बहुत कुछ
वरिष्ठ नागरिकों के लिए और भी कई अच्छी खबरें मिली हैं. वित्त मंत्री ने पेंशन स्कीम, प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) में इनवेस्टमेंट लिमिट मौजूदा 7.5 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपए करने का प्रस्ताव दिया है.
10. निवेशकों को भी लगा झटका
बजट में इक्विटी-म्युचुअल फंड्स पर 10% की दर से डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया गया है. इससे निवेशकों के हाथ में पैसा कम जाएगा.