नए जीएसटी में एंटी-प्रॉफिटरिंग क्लॉज यह सुनिश्चित करता है कि बिल्डर को इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के बाद किसी भी लाभ को ग्राहक को देना होगा.
प्रॉपर्टी खरीददारों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि आप जिस प्रॉपर्टी को खरीदना चाहते हैं वो जीएसटी लागू होने के बाद सस्ती हुई है या और महंगी हो गई है? करीब दो या ढ़ाई महीने के कन्फ्यूजन के बाद भारत में एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ. रियल एस्टेट पर जीएसटी का क्या प्रभाव पड़ा इसका जवाब इन पांच बातों पर निर्भर करता है:
1. जीएसटी केवल निर्माणाधीन प्रॉपर्टी या अधूरी परियोजनाओं में निर्माणाधीन इकाइयों पर लगाया जाता है. यदि आपने एक जुलाई, 2017 के बाद कोई प्रॉपर्टी खरीदी है और इसका अधिग्रहण सर्टिफिकेट भी ले लिया है, तो ऐसी स्थित में बिक्री मूल्य पर जीएसटी का कोई शुल्क नहीं लगेगा.
2. जीएसटी लागू होने से पहले खरीददार को निर्माणाधीन संपत्तियों के बिक्री मूल्य पर सर्विस टैक्स, स्टेट एडेड वैल्यू टैक्स (वैट), रजिस्ट्रेशन शुल्क और स्टांप शुल्क देना पड़ता था. आपकी प्रॉपर्टी पर सर्विस टैक्स और वैट का अनुपात 3.75 फीसदी और 4.5 फीसदी लगता था, लेकिन यह आपके राज्य के उस क्षेत्र पर निर्भर करता था, जहां आपकी प्रॉपर्टी है. इस क्षेत्र में 12 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है, लेकिन यह सिर्फ सर्विस टैक्स और वैट की जगह है. आपको पहले की ही तरह रजिस्ट्रेशन शुल्क और स्टांप शुल्क देना पड़ेगा, बशर्ते राज्य सरकार इसकी दर में कोई बदलाव न करे.
3. क्या इसका मतलब यह निकलता है कि जीएसटी की मार निर्माणधीन प्रॉपर्टी की कीमतों पर अधिक पड़ी है, क्योंकि सर्विस टैक्स और वैट की दर 4 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी जीएसटी हो गई है. अब इनके बीच 8 फीसदी का अंतर हो गया है?
ऐसा जरुरी नहीं, क्योंकि नए जीएसटी में एंटी-प्रॉफिटरिंग क्लॉज यह सुनिश्चित करता है कि बिल्डर को इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के बाद किसी भी लाभ को ग्राहक को देना होगा. नई जीएसटी प्रणाली में, बिल्डर निर्माण और सर्विस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट कर भुगतान का लाभ उठा सकता है, जो निर्माण की कुल लागत का लगभग 15 से 20 फीसदी है. इससे संपत्ति के बिक्री मूल्य को कम करने में मदद मिलेगी और जीएसटी के प्रभाव में काफी गिरावट आएगी.
4. क्या इसका मतलब यह है कि जीएसटी के लागू होने के बाद सभी निर्माणाधीन प्रॉपर्टी सस्ती हो गई हैं?
– ऐसा जरुरी नहीं, क्योंकि बिल्डर निर्माण की लागत के मुकाबले इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा सकता है, ज्यादातर प्रोजेक्टस पर यह 1200 से 2000 रुपये के बाच प्रति वर्ग फुट होता है. अब यह अपवाद ही हो सकता है, जहां निर्माण की लागत इस सीमा से पार जा सकती है. बता दें कि भूमि की लागत के लिए कोई इनपुट क्रेडिट नहीं है.
– बिल्डर के इनपुट टैक्स क्रेडिट, जो ग्राहक को पारित किया जा सकता है, वो अधिकतर प्रोजेक्टस में 250 और 400 रुपये प्रति वर्ग फुट होता है.
– केवल वहीं प्रॉपर्टी जहां जमीन की कीमत कम है और जिसके बिक्री मूल्य पर जीएसटी लगाया जाता है, वह 250 से 400 रुपये सस्ती मिलेगी.
5. जीएसटी का प्रभाव: किसको फायदा, किसको नुकसान?
कैसे खरीददारों को पहुंचेगा फायदा
-निर्माणाधीन प्रॉपर्टी को जो ग्राहक 4,000 रुपये प्रति वर्ग फुट से कम में खरीददते हैं, उनकी कीमत कम होगी.
कौन से खरीददार प्रभावित नहीं होंगे
-उन ग्राहकों की प्रॉपर्टी की कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जिन्होंने निर्माणधीन प्रॉपर्टी को 4000 से लेकर 5,500 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से लिया है.
घाटे में रहे ये ग्राहक
– जिन ग्राहकों ने निर्माणधीन प्रॉपर्टी को 5,500 रुपये प्रति वर्ग फुट से या अधिक की कीमतों पर लिया है, उनकी कीमतें बढ़ जाएंगी.
खरीददार पर जीएसटी का प्रभाव उसके निवेश के स्तर पर निर्भर करता है. किफायती आवास सेग्मेंट को नए जीएसटी प्रणाली में बढ़ावा देना चाहिए, लेकिन अगर आपके सपने बड़े हैं तो निश्चित रूप से आपको अपने सपने के घर के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.
उद्योग में लाई गई जीएसटी के पारदर्शिता के कारण सरकार को बहुत फायदा हुआ है. नई जीएसटी प्रणाली नकदी लेन-देन या “कच्चा बिल” पर बहुत कटौती करेगा, क्योंकि इसमें कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं होगा. वहीं, छोटे और सीमांत निर्माण ठेकेदारों को सिस्टम में रहने के लिए जीएसटी को अच्छे तरीके से समझने की आवश्यकता होगी. नई जीएसटी प्रणाली के बाद बिल्डरों को इनपुट लागत और बिक्री मूल्य निर्धारण रणनीतियों पर बहुत कठिन काम करना होगा, ताकि उनकी परियोजनाओं में कीमतें बढ़ें.