सरकार ने डूबे कर्ज के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की आक्रामक योजना की घोषणा की है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घरेलू अर्थव्यवस्था की बुनियादी हालात मजबूत बताते हुए कहा कि आर्थिक वृद्धि की गति को तेज बनाए रखने के उपाय किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत पिछले तीन साल से सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है और आने वाले वर्षों में इस रफ्तार को बनाए रखने के लिए प्रयास जारी हैं. सरकार ने डूबे कर्ज के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की आक्रामक योजना की घोषणा की है. वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि इसमें से 1.35 लाख करोड़ रुपये बांड और शेष 76,000 करोड़ रुपये केंद्रीय बजट से दिए जाएंगे. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि बैंकों में यह पूंजी निवेश अगले दो वित्त वर्षों में किया जाएगा.
जेटली ने कहा कि इसके साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में और सुधारों को भी लागू किया जाएगा. सुधारों की इस श्रृंखला की घोषणा अगले कुछ माह में होगी. वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक पूंजीकरण बांड का स्वरूप और ब्योरा समय के साथ सार्वजनिक किया जाएगा. जून, 2017 में बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपये हो गई. मार्च, 2015 में यह 2.75 लाख करोड़ रुपये थी. वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों को ‘इंद्रधनुष योजना’ के तहत 18,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इंद्रधनुष रूपरेखा 2015 में शुरू की गई थी. सरकार ने घोषणा की थी कि इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में चार साल के दौरान उनकी बासेल तीन के नियमों के अनुसार पूंजी के लिए 70,000 करोड़ रुपये डाले जाएंगे. इसी योजना के अंतर्गत बैंकों को 2015-16 में 25,000 करोड़ रुपये दिए गए.
आगे के वर्ष के लिए भी इतनी ही राशि तय की गई है. वहीं 2017-18 और 2018-19 में बैंकों में दस-दस हजार करोड़ रुपये डाले जाएंगे.