निर्मला सीतारमण ने कहा कि भाजपा ने अपने 2014 के चुनाव घोषणापत्र में कालेधन पर अंकुश को शामिल किया था. उम्र अधिक होने के बावजूद पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने देशभर में काले धन के खिलाफ यात्रा निकाली थी.
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार (8 नवंबर) को कहा कि सरकार ने नोटबंदी के बाद एक ऐसी मुखौटा या जाली कंपनी का पता लगाया है जिसने 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन किया था. यही नहीं इस कंपनी के 2,000 से अधिक बैंक खाते थे. उन्होंने यहां कहा, ‘‘हम सार्वजनिक तौर पर जाली मुखौटा कंपनियों के बारे में बोल चुके हैं. ऐसी ही एक मुखौटा कंपनी के 2,000 से अधिक बैंक खाते थे.’’ उन्होंने कहा कि कंपनी ने इस बात का ब्योरा नहीं दिया था कि उसके पास यह पैसा कहां से आया. लेकिन यह बात सामने आई कि कंपनी के 2,000 से अधिक बैंक खाते थे.
मंत्री ने कहा कि कंपनी ने सरकार की 30 दिसंबर, 2016 की समयसीमा का लाभ उठाते हुए लोगों से बैंक खातों में 1,000 और 500 रुपये के बंद नोट जमा कराने का कहा था. सीतारमण ने कहा, ‘‘यह मामला सामने आया है. अब यह कंपनी बंद हो गई है.’’ उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि यदि नोटबंदी नहीं की जाती तो क्या यह मामला सामने आता.
उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने 2014 के चुनाव घोषणापत्र में कालेधन पर अंकुश को शामिल किया था. उम्र अधिक होने के बावजूद पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने देशभर में काले धन के खिलाफ यात्रा निकाली थी. उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बावजूद विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन नहीं किया था. बाद में नरेंद्र मोदी सरकार ने कार्यभाल संभालने के बाद यह काम किया.
नोटबंदी की वजह से लोगों को हुई परेशानी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि केंद्र ने लोगों को अपने बेहिसाबी धन की घोषणा 30 सितंबर, 2016 तक करने का मौका दिया था. लोगों को इसका मौका दिया गया था. 500 और 1,000 के नोट बंद होने के बाद सिर्फ इस तरह की मुखौटा कंपनियों के मामले सामने आए. उन्होंने कहा कि आलोचक पूछते हैं कि आपने नोटबंदी को लागू कर क्या हासिल किया. इस पर सीतारमण ने सवाल किया कि इस तरह के मामले सामने आने का क्या मतलब है?
इससे पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने नोटबंदी की आलोचना करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर बुधवार (8 नवंबर) को निशाना साधा. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जब उनके राज में ‘‘संगठित लूट’’ हो रही थी तो वह नजर फेर कर बैठे थे. नोटबंदी को ‘‘संगठित लूट और वैधानिक डाका’’बताये जाने को लेकर सिंह की आलोचना करते हुए सीतारमण ने उनके द्वारा इस कदम के खिलाफ इस तरह के ‘‘कड़े शब्दों’’ का प्रयोग करने पर अफसोस प्रकट किया. उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को मजबूत करना था और इससे किसी को कोई निजी फायदा पहुंचाना नहीं था.
सीतारमण ने यहां तमिलनाडु भाजपा इकाई के मुख्यालय ‘कमलालयम’ में पत्रकारों से कहा, ‘‘असल में संगठित लूट और वैधानिक डाका उस समय डाला गया था जब वह प्रधानमंत्री थे.’’ 2जी स्पेक्ट्रम और अदालतों में इससे संबंधित मामलों समेत घोटालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में ये सब मनमोहन सिंह के शासनकाल के दौरान हुआ था, ‘‘उन्होंने इस संबंध में बात नहीं की और ऐसा दिखाई देता है जैसे कि वह कहीं नजरें फिराके बैठे है.’’