अब हम एक बड़ा खुलासा करेंगे.. और ये खुलासा नोटबंदी से जुड़ा हुआ है. एक साल पहले पूरे देश के लोग अपने पुराने नोट बदलवाने के लिए बैंकों की लाइनों में लगे थे. घंटों तक लाइन में लगने के बाद भी उनके नोट नहीं बदल रहे थे.बहुत बड़े Confusion की स्थिति थी. लोगों को ये समझ में नहीं आ रहा था कि क्या होगा? कई बार लोगों का नंबर आते आते.. नोट ख़त्म हो जाते थे. लेकिन उस दौर में हमारे ही देश के कुछ लोग ऐसे भी थे, जो बिना परेशान हुए.. आराम से अपने पुराने नोट बदल रहे थे. और ये लोग हमारी और आपकी तरह कुछ हज़ार रुपये के नहीं बल्कि करोड़ों रुपये के नोट बदल रहे थे. ये सीधे सीधे काले धन को सफेद करने का मामला है.
आज आपको ये पता होना चाहिए कि नोटबंदी के बाद आम आदमी के हिस्से की Currency को कैसे कुछ लोगों ने हड़प लिया और Black Money को White कर लिया. हमारे पास उन लोगों के नाम हैं जिन्होंने नोट बदलवाए और उन बैंक वालों के नाम हैं जिन्होंने नोट बदले. ये नाम हम आपको बताएंगे..
8 नंवबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद केन्द्र सरकार ने कालेधन और Money Laundering के खिलाफ अभियान छेड़ा था. Enforcement Directorate यानी ED ने नोटबंदी के एक साल पूरा होने पर एक रिपोर्ट तैयार की है, जो इस वक्त हमारे पास है. इस रिपोर्ट में ED ने ये बताया है कि कैसे नोटबंदी के बाद Money Laundering की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को हज़ारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. नोटबंदी के बाद ED ने फर्ज़ी कंपनियों के खिलाफ जो कार्रवाई की, उसकी पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में दर्ज है.
ED की जांच में पता चला है कि नोटबंदी के बाद कई लोगों ने Shell Companies यानी फर्ज़ी कंपनियों और Real Estate के माध्यम से हज़ारों करोड़ रुपये का कालाधन सफेद किया. नोटबंदी के बाद भारत सरकार ने Shell कंपनियों पर कार्रवाई करने के लिए एक Task Force बनाई थी. नोटबंदी के दो दिन बाद ही 11 नंवबर 2016 को ED ने 100 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की थी. इसके अलावा 1 अप्रैल 2017 को भी 16 राज्यों की 134 जगहों पर छापे मारे गये थे. इनमें एक हज़ार से ज्यादा Shell कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हुई .
ED ने नवंबर 2016 से लेकर सितंबर 2017 तक Foreign Exchange Management Act यानी FEMA और Prevention of Money Laundering Act यानी PMLA के तहत 620 जगहों पर छापेमारी की. और इन दोनों कानूनों के तहत कुल 3 हज़ार 758 केस दर्ज किए. ED ने इन दोनों कानूनों में 9 हज़ार 935 करोड़ रुपये की संपत्ति ज़ब्त की. इन मामलों में ED ने 54 लोगों को गिरफ्तार किया.
ED की इस रिपोर्ट में इस बात का भी ज़िक्र है कि नोटबंदी के बाद बहुत से बैंक कर्मचारियों ने भी पुराने नोटों को बदला. इसके लिए बैंक कर्मचारियों को बाकायदा रिश्वत दी गई. ED की रिपोर्ट में दिल्ली में Axis Bank की कश्मीरी गेट ब्रांच और Kotak महिन्द्रा Bank की KG Marg ब्रांच के कर्मचारियों की सबसे ज्यादा मिलीभगत पाई गई.
अब आपको ये बताते हैं कि नोटबंदी के दौरान कुछ बैंक कैसे लोगों के कालेधन को सफेद कर रहे थे. ED ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि Axis Bank की कश्मीरी गेट ब्रांच में एक CA राजीव कुशवाहा ने 39 करोड़ रुपये जमा कराए. ये रकम 10 नवंबर से लेकर 22 नवंबर के बीच जमा कराई गई . और पूरा पैसा एक बार में जमा नहीं कराया गया.
ये सब बैंक मैनजर की मिलीभगत से हुआ. जैसे ही इन लोगों ने बैंक अकाउंट में पैसा जमा किया उसे तुरंत एक Shell कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया. ये Shell कंपनी भी राजीव कुशवाहा की थी, जिसने बैंक में पैसा जमा कराया था. और इस CA ने इस कंपनी का DIRECTOR एक मज़दूर को बनाया हुआ था, जो झुग्गी में रहता था. इसके बाद इस राजीव कुशवाहा ने वही पैसा.. फर्ज़ी कंपनी से कई बड़े सर्राफा व्यापारियों के खातों में डाल दिया.
और इस तरह से ये कालाधन सफेद हो गया. इसके लिए बैंक Managers को 2% का कमीशन दिया गया था. इसी तरह से KG Marg के कोटक महिन्द्रा बैंक की ब्रांच ने दिल्ली के एक वकील रोहित टंडन की पुरानी Currency को बदला था. रोहित टंडन, रात के वक्त बैंक में फर्ज़ी कंपनियों के खाते में पैसा जमा करवाता था. और इस पैसे के बदले में बैंक की तरफ से उसे Demand Drafts जारी किए जाते थे. इसके लिए बैंक मैनेजर 35% का कमीशन लेता था. बाद में ED ने जब रोहित टंडन पर छापा मारा तो बहुत से Demand drafts बरामद हुए थे. ED ने Demand draft के रूप में मौजूद.. 41 करोड़ 65 लाख रुपये का कालाधन ज़ब्त किया था.
ED ने कोलकाता के Businessman पारसमल लोढ़ा को भी गिरफ्तार किया था. ये गिरफ्तारी दिल्ली के वकील रोहित टंडन के ठिकानों से मिले.. नए नोटों के आधार पर की गई थी. दिल्ली पुलिस और इनकम टैक्स की टीम ने रोहित टंडन की कंपनी के खिलाफ पिछले साल 10 दिसंबर को छापेमारी की थी. इस छापे में 13 करोड़ 62 लाख रुपये बरामद किए गए थे और इनमें से 2 करोड़ 62 लाख रुपये… 2000 रुपये के नए नोटों के रूप में थे.
यानी जिस वक्त.. लोगों को कुछ हज़ार रुपये भी नहीं मिल पा रहे थे, रोहित टंडन जैसे लोगों के पास नई करेंसी के करोड़ों रुपये मौजूद थे. पूछताछ में पता चला कि रोहित टंडन ने कोलकाता के व्यापारी पारसमल लोढ़ा के ज़रिये 20 करोड़ रुपये बदलवाए थे.
इसी तरह से एक और व्यक्ति J. शेखर रेड्डी को भी ED ने गिरफ्तार किया था. रेड्डी के पास से 97 करोड़ रुपये की पुरानी करेंसी और 34 करोड़ रुपये की नई करेंसी मिली थी. आप उन दिनों को याद कीजिए, जब आप सिर्फ साढ़े 4 हज़ार रुपये के लिए लाइन में खड़े थे. उस वक़्त इन लोगों के पास से करोड़ों रुपये की नई करेंसी बरामद हो रही थी.
ED को ये बात समझ में आ गई थी कि ये सारा खेल Shell कंपनियों के ज़रिये हो रहा है. फर्ज़ी कंपनियों के माध्यम से कुछ CAs और Company Secretaries… Money Laundering कर रहे हैं. ED के मुताबिक बहुत से सरकारी अफसरों और उद्योगपतियों ने अपना कालाधन सफेद करने के लिए ऐसे Professionals की मदद ली.
ऐसे लोगों के खिलाफ ED ने कार्रवाई भी की. ऐसी ही एक कार्रवाई में दिल्ली के Jain Brothers का नाम सामने आया. Jain Brothers ने बहुत सी फर्ज़ी कंपनियां बनाईं और नोटबंदी के दौरान 200 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कालाधन सफेद किया. अपनी कार्रवाई में ED ने Jain Brothers के घर से एक Cash Book भी ज़ब्त की थी. इससे पता चला कि 2004-05 से लेकर 2010-11 तक Jain Brothers ने 3 हज़ार 790 करोड़ रुपये की Money Laundering की थी.
अकेले 2009-10 में ही उन्होंने 559 लोगों के 561 करोड़ रुपये का कालाधन सफेद किया था. अपनी जांच के बाद ED ने बहुत से बड़े लोगों की संपत्तियां Attach कीं. इसी कार्रवाई के बाद RJD के अध्यक्ष लालू यादव की बेटी मीसा भारती का एक Farm House भी Attach किया गया था. ये Farm House दिल्ली के बिजवासन इलाके में था. और इसे 2008-09 में 1 करोड़ 20 लाख रुपये में खरीदा गया था. ED के मुताबिक इस Farm House की खरीद फरोख्त में money laundering हुई थी.
अब आपको समझ में आ गया होगा कि नोटबंदी के असली विलेन कौन हैं. नोटबंदी के बाद आप कुछ हज़ार रुपयों के लिए परेशान होते रहे और ये लोग जुगाड़ और बेईमानी से अपने काले धन को ठिकाने लगाते रहे. इन लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. और अगर ऐसे मामलों में बड़े लोगों का नाम सामने आता है.. तो उन पर भी सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए.