पीठ ने कार्ति के खिलाफ जांच ब्यूरो द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों का अवलोकन करके टिप्पणी की कि कानूनी कार्यवाही करने वाली एजेन्सी को प्रतिवादी के पिछले आचरण को देखते हुये शिकायत थी.
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार (9 नवंबर) को केन्द्रीय जांच ब्यूरो को निर्देश दिया कि वह पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम को कुछ दिन के लिये विदेश जाने की अनुमति देने के बारे में अपने रुख से उसे अवगत कराये. शीर्ष अदालत ने जांच एजेन्सी को कार्ति से पूछताछ नहीं करने के कारणों से भी अवगत कराने के लिये कहा है यदि उसने फिलहाल ऐसा निर्णय किया है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, ‘‘आप प्रतिवादी (कार्ति चिदंबरम) को चार पांच दिन के लिये विदेश जाने की अनुमति देने के बारे में निर्देश प्राप्त कर लें.’’
पीठ ने कार्ति के खिलाफ जांच ब्यूरो द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों का अवलोकन करके टिप्पणी की कि कानूनी कार्यवाही करने वाली एजेन्सी को प्रतिवादी के पिछले आचरण को देखते हुये शिकायत थी. सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि न्यायालय ने जिन दस्तावेज का अवलोकन किया है वे केस डायरी का हिस्सा हैं और उन्हें कार्ति के साथ साझा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कार्ति, जिन्होंने जून जुलाई में अपनी विदेश यात्रा के दौरान अपने बैंक खाते बंद कर दिये थे, के पिछले आचरण से ही आशंकायें पैदा हुयी हैं.
पीठ ने मेहता से सवाल किया कि जांच एजेन्सी कार्ति चिंदबरम से पूछताछ क्यों नहीं कर रही है यदि उन्हें इन बातों की जानकारी है. इस पर मेहता ने जवाब दिया कि यह जांच एजेन्सी पर निर्भर करता है और आरोप पत्र दाखिल होने तक जांच एजेन्सी मामले के साक्ष्य और जांच पूरी करने की समय सीमा नहीं बता सकती है. उन्होंने कहा कि कार्ति के पहले के आचरण और उसका विदेश जाने के लिये बार बार अनुरोध, वास्तव में स्तब्ध करने वाला है और जांच एजेन्सी उन्हें विदेश जाने की अनुमति नहीं देने का आग्रह करके पूरी तरह न्यायोचित होगी. उन्होंने कहा, ‘‘यह आशंका कुछ निराधार कारणों पर आधारित नहीं हैं. इस बारे में समुचित साक्ष्य और सामग्री है.’’ इस पर, पीठ ने सुझाव दिया कि जांच एजेन्सी को कार्ति से अभी पूछताछ करनी चाहिए और उन्हें कुछ शर्तो के साथ चार पांच दिन के लिये विदेश जाने देना चाहिए.
कार्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यही भय था जिसके लिये वह जोर देकर कह रहे थे कि न्यायालय को जांच एजेन्सी के दस्तावेज नहीं देखने चाहिए क्योंकि ये न्यायाधीशों को प्रभावित करेंगे. उन्होंने कहा कि जांच एजेन्सी के दस्तावेजों की प्रति उन्हें नहीं दी गयी है और वह इनके बगैर बहस नहीं कर सकते हैं.
जांच ब्यूरो ने वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल में 2007 में आईएनएक्स मीडिया लि को विदेश से 305 करोड़ प्राप्त करने के लिये विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा 2007 में मंजूरी देने में कथित अनियमित्ताओं के बारे में 15 मई को प्राथमिकी दर्ज की थी. शीर्ष अदालत कार्ति के लिये जारी लुक आउट सर्कुलर पर रोक लगाने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही है.