केंद्र सरकार ने बजट 2017-18 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा है. अगले वित्त वर्ष में इसे तीन प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है.
कम कर और ऊंचे सार्वजनिक खर्च की वजह से वित्त वर्ष 2017-18 में बजट घाटा बढ़ सकता है. अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने यह अनुमान लगाया है. मूडीज का कहना है कि कर दायरा बढ़ने तथा खर्च में दक्षता से आगे चलकर इसे कम करने में मदद मिलेगी. मूडीज इन्वेस्टर सर्विस के उपाध्यक्ष (सॉवरेन जोखिम समूह) विलियम फॉस्टर ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा कि एजेंसी का मानना है कि राजकोषीय मजबूती को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता कायम है. सतत वृद्धि से ऋण के बोझ को कम करने में मदद मिलेगी. मूडीज ने पिछले सप्ताह भारत की सॉवरेन रेटिंग 13 साल में पहली बार बढ़ाई है. मूडीज ने कहा कि आर्थिक और संस्थागत सुधारों की वजह से भारत की वृद्धि की संभावनाएं सुधरी हैं.
फॉस्टर ने कहा कि रेटिंग उन्नयन से पता चलता है कि आर्थिक और संस्थागत सुधारों से भारत की वृद्धि की संभावनाएं बढ़ेंगी . इससे सरकार के ऋण का वित्तीय आधार स्थिर हो सकेगा. इससे मध्यम अवधि में सरकार के सामान्य कर्ज के बोझ में धीरे-धीरे कमी आएगी. भारत का ऋण से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुपात 68.6 प्रतिशत है. सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति ने 2023 तक इसे 60 प्रतिशत पर लाने की सिफारिश की है.
फॉस्टर ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि सरकार का बजट घाटा इस वित्त वर्ष में जीडीपी के 6.5 प्रतिशत पर रहेगा. यह इससे पिछले दो वित्त वर्षों के समान है. बजट योजना की तुलना में सरकार का राजस्व कम रहने और सरकार का खर्च कुछ अधिक रहने से बजट घाटा लक्ष्य से अधिक रह सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘समय के साथ कर दायरा बढ़ाने के प्रयास तथा सरकारी खर्च की दक्षता में सुधार से घाटे को धीरे-धीरे कम करने में मदद मिलेगी.’’ सामान्य बजट घाटे से तात्पर्य केंद्र और राज्यों द्वारा किए जाने वाले खर्च और राजस्व का अंतर होता है.
उन्होंने कहा कि यदि बैंकिंग प्रणाली की सेहत में उल्लेखनीय गिरावट आती है तो रेटिंग के नीचे की ओर आने का दबाव पड़ सकता है. केंद्र सरकार ने बजट 2017-18 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा है. अगले वित्त वर्ष में इसे तीन प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है.
इससे पहले अमेरिका स्थित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों से घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि की संभावनाएं बेहतर होने के कारण देश की रेटिंग एक पायदान बढ़ाकर शुक्रवार (17 नवंबर) को ‘बीएए2’ कर दी.रेटिंग में यह सुधार 13 वर्ष बाद हुआ है. इससे पहले 2004 में देश की रेटिंग सुधारकर ‘बीएए3’ की गयी थी. वर्ष 2015 में उसने रेटिंग परिदृश्य को सकारात्मक से स्थिर किया था. बीएए3 रेटिंग निवेश श्रेणी का सबसे निचला दर्जा है. मूडीज ने अपने बयान में कहा, ‘रेटिंग में सुधार का यह निर्णय मूडीज की इस उम्मीद पर आधारित है कि आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों में सतत प्रगति से आने वाले समय में भारत की तेज आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं बेहतर होंगी.’
इससे सरकार के ऋण के लिए स्थिर एवं बड़ा वित्तीय आधार तैयार होगा और यह मध्यम अवधि में सरकार के ऋण दबाव में क्रमिक कमी लाएगा. सार्वभौम रेटिंग किसी भी देश के निवेश माहौल का सूचक होता है. यह निवेशकों को किसी देश में निवेश से संबंधित जोखिमों से अवगत कराता है. इन जोखिमों में राजनीतिक जोखिम भी शामिल होता है.