संयुक्त राष्ट्र ने अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018 में 7.2 प्रतिशत और 2019 में 7.4 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया था.
भारत अपने लोगों के जीवनयापन का स्तर सुधार कर तथा निवेश को प्रोत्साहित कर अगले दो दशक तक आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि कर सकता है. संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ आर्थिक अधिकारी ने यह बात कही. संयुक्त राष्ट्र में आर्थिक मामलों के अधिकारी सेबास्टियन वर्गारा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मुख्यत: सकारात्मक है और वृद्धि के अनुकूल है. उन्होंने कहा कि संभावनाओं को हासिल करने के लिए देश को सुधारों के अगले चरण पर अमल करने की जरूरत है.
वर्गारा ने कहा, ‘‘इसके लिए सोचने की जरूरत होती है कि लंबे समय के लिए वृद्धि को कैसे बरकरार रखा जाए. हमारे आकलन के हिसाब से भारत के पास आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि की संभावना है, और महज कुछ साल के लिए नहीं बल्कि 20 साल के लिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए भारत को सुधारों के अगले दौर पर अमल करने की जरूरत है. उदाहरण के लिए लोगों के जीवन के स्तर को बेहतर करना और निवेश को प्रोत्साहित करना.’’ उन्होंने कहा कि सकारात्मक आर्थिक स्थितियों के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि दर शुरुआती पूर्वानुमानों की तुलना में कम रहेगी.
वर्गारा ने कहा कि कुछ कारकों ने आर्थिक स्थिति को सकारात्मक बनाया है. उन्होंने कहा, ‘‘इनमें से एक निजी उपभोग में वृद्धि तथा अच्छी वृहदआर्थिक नीतियां है. मंहगाई को नियंत्रण में रखने में सक्षम मौद्रिक नीति ने भी योगदान दिया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे आकलन के हिसाब से भारत की वित्तीय नीति भी दूरदर्शी है. इसने भी आर्थिक गतिविधियों को सहारा दिया है.’’ वर्गारा ने सार्वजनिक निवेश और आधारभूत संरचना परियोजनाओं पर जोर देने के लिए भारत सरकार की सराहना की.
उन्होंने कहा, ‘‘यह अल्पावधि में वृद्धि को तेज करने में महत्वपूर्ण रहा है और मध्यम अवधि में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया है.’’ उन्होंने कहा कि पिछले साल और इस साल किये गये नियामकीय सुधार ने भी आर्थिक वृद्धि को मजूबती दी है. उन्होंने कहा, ‘‘नोटबंदी का 2017 की शुरुआत पर असर रहा. इससे तरलता में कमी आयी पर वह अस्थायी थी.’’ उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018 में 7.2 प्रतिशत और 2019 में 7.4 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया था.