आने वाले साल 2018 में इस क्षेत्र में 2.7 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं की नीलामी की तैयारी है.
सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों से बनने वाली बिजली की दर के एतिहासिक निम्न स्तर तक पहुंच जाने के साथ भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है. आने वाले साल 2018 में इस क्षेत्र में 2.7 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं की नीलामी की तैयारी है. सरकार की अगले वित्त वर्ष में 30,000 मेगावाट सौर ऊर्जा, 10,000 मेगावाट पवन ऊर्जा और 5,000 मेगावाट की अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं की नीलामी की योजना है. इन परियोजनाओं में 6 करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट की औसतन उपकरण लागत के साथ इनकी कुल लागत 2.7 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है.
इस परिपेक्ष्य में चीजों को गौर किए जाने की जरुरत है. कल गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) की ओर से आयोजित नीलामी के दौरान पवन ऊर्जा की दर तेजी से गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 2.43 रुपये प्रति यूनिट पर आ गई. इस साल की शुरुआत में भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) की एक गीगावाट पवन ऊर्जा परियोजनाओं की नीलामी के पहले दौर के दौरान दर 3.46 रुपये पर आ गई थी. इसके बाद दूसरे दौर की नीलामी में यह दर घटकर 2.64 रुपये प्रति यूनिट रह गई.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने अक्षय ऊर्जा दर में कमी का श्रेय कर्ज की लागत में कमी और कम उपकरण के साथ उचित और पारदर्शी बोली प्रक्रिया को दिया. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी दर निचले स्तर पर हैं. इस साल की शुरुआत में हुई नीलामी में सौर ऊर्जा की दर गिरकर 2.44 रुपये प्रति यूनिट के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई. सौर उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 11,000 करोड़ के प्रोत्साहन देने के सरकार के नए प्रस्ताव को लेकर निवेशक उत्सुक हैं. इसे 2018 में मंजूरी मिलने और कार्यान्वयन की उम्मीद है.
हालांकि, फिर भी चिंताएं बनी हुई है. अपर्याप्त घरेलू विनिर्माण क्षमता की वजह से सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए आयात पर भारी निर्भरता चिंता का प्रश्न है. सरकार की ओर से हाल में प्रस्तावित प्रोत्साहनों और सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीआई) द्वारा 20 हजार मेगावाट सौर क्षमता के लिए रुचि पत्र पेश करने से इस मुद्दे के समाधान की उम्मीद है. इस महीने की शुरुआत में बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा, “सौर उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये हम दो रुचि प्रस्ताव पेश करने के इच्छुक हैं. यह पॉली-सिलिकॉन के लिए होगा… इसके तहत केवल वही विनिर्माता बोली लगा सकेंगे जो कि भारत में विनिर्माण इकाई लगायेंगे.’’
मंत्री ने कहा कि सरकार 20,000 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन के लिये उपकरणों की खरीद करेगी. हालांकि बोली लगाने वाली कंपनियों यहां विभिन्न चरणों में अपनी विनिर्माण इकाई लगायेंगे. ‘‘पहले साल में वे सौर सेल और मॉड्यूल्स के लिये विनिर्माण क्षमता स्थापित करेंगे. दूसरे साल में सौर वैफर्स के लिये और तीसरे चरण में पॉलिसिलीकॉन के लिये क्षमता स्थापित करेंगे.’’ वर्तमान में, बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में गिना नहीं जाता है और यह छोटे परियोजनाओं के लिए उपलब्ध प्रोत्साहनों के हकदार नहीं हैं. अगर इसमें नियमों को बदल दिया जाता है तो नवीकरणीय ऊर्जा में 45 गीगावाट का इजाफा किया जा सकता है. वर्तमान में, भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता करीब 60 गीगावाट है.
भारत के 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 225 गीगावाट यानी 2,25,000 मेगावाट ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण होगा. हालांकि देश में इस अवधि के लिये 1,75,000 मेगावाट का लक्ष्य तय किया गया है. इस लक्ष्य में 1,00,000 मेगावाट सौर ऊर्जा और 60,000 मेगावाट पवन ऊर्जा लक्ष्य शामिल है. एमप्लस एनर्जी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव अग्रवाल ने कहा कि 2018 में जहां तक नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और उसे अपनाने के मामले में राज्यों को भी केन्द्र के समकक्ष आगे आना चाहिये.