देश में नोटबंदी और जीएसटी के क्रियान्वयन से रोजगार में कमी को लेकर चिंता के बारे में पूछे जाने पर श्रीनिवासन ने कहा कि ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जो इन दोनों में संबंध को जोड़े.
वित्त मंत्री अरुण जेटली को बजट में राजकोषीय घाटा लक्ष्य हासिल करने का प्रयास करना चाहिए तथा परियोजनाओं को कुशल तरीके से क्रियान्वित करने के लिये और कदम उठाने चाहिए. प्रख्यात अर्थशास्त्री टी एन श्रीनिवासन ने यह सुझाव दिया है. येल विश्विद्यालय में अर्थशास्त्र के मानद प्रोफेसर श्रीनिवासन ने यह भी कहा कि नोटबंदी तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण रोजगार में कमी को जोड़ने को लेकर कोई आर्थिक सिद्धांत नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे आशा है कि वह राजकोषीय घाटे को काबू में करने के लिये जो भी कर सकते हैं, उन्हें करना चाहिए. साथ ही परियोजनाओं को कुशल तरीके से तथा समय पर पूरा करने के लिये कदम उठाने चाहिए.’ सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 3.2 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा है. जेटली एक फरवरी को 2018-19 का बजट पेश करेंगे. देश में नोटबंदी और जीएसटी के क्रियान्वयन से रोजगार में कमी को लेकर चिंता के बारे में पूछे जाने पर श्रीनिवासन ने कहा कि ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जो इन दोनों में संबंध को जोड़े.
देश का राजकोषीय घाटा 2018-19 में बढ़कर जीडीपी का 3.5 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है, लेकिन इसका वृहत आर्थिक स्थिरता पर कोई खास असर नहीं होगा. मोर्गन स्टेनले ने एक रिपोर्ट में यह कहा है. रिपोर्ट के अनुसार राजकोषीय घाटा 2018-19 में 2017-18 के मुकाबले बढ़कर 3.5 प्रतिशत होने का अनुमान है. वर्ष 2017-18 में इसके 3.4 प्रतिशत रहने की संभावना है. ‘हालांकि हमारा अनुमान है कि इससे वृहत आर्थिक स्थिरता को कोई खतरा नहीं होगा.’ इसमें कहा गया है कि ग्रामीण तथा सामाजिक योजनाओं पर कुल व्यय जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के प्रतिशत के रूप में स्थिर रहने की संभावना है.
वर्ष 2018 में होने वाले विधानसभा चुनावों तथा मई 2019 में आम चुनाव तथा कमजोर निजी निवेश को देखते हुए सरकार की राजकोषीय स्थिति को लेकर चिंता बढ़ी है. मोर्गन स्टेनले के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी के रास्ते पर बढ़ने की उम्मीद है और 2018-19 में वृद्धि दर सुधरकर 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.