ओएनजीसी और एचपीसीएल के इस सौदे से सरकार को पहली बार सालाना विनिवेश लक्ष्य को पार करने में सफलता मिलेगी.
कांग्रेस ने सरकारी स्वामित्व वाली ओएनजीसी द्वारा एक अन्य सरकारी कंपनी एचपीसीएल के शेयर खरीदे जाने की घोषणा को अकाउंटिंग की बाजीगरी करार देते हुए सोमवार (22 जनवरी) को कहा कि विनिवेश और राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में पिछड़ने के कारण यह कदम उठाया गया. सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने एचपीसीएल में सरकार की पूरी 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी 36,915 करोड़ रुपए में खरीदने की गत शनिवार (20 जनवरी) को घोषणा की. इस सौदे से सरकार को पहली बार सालाना विनिवेश लक्ष्य को पार करने में सफलता मिलेगी.
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह सौदा अकाउंटिंग की बाजीगरी और एक हाथ से पैसा लेकर दूसरे को देने के अलावा कुछ और नहीं है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार जनता को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता. उन्होंने कहा कि इस सौदे के लिए ओएनजीसी बाजार से 30 हजार करोड़ रुपये उधार लेगी. ऐसे में यदि सरकार खुद सीधे बाजार से उधार लेती तो उससे राजकोषीय घाटे पर असर पड़ता.
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार का राजकोषीय घाटा पहले से ही लक्ष्य से पीछे चल रहा है. बजट में अनुमान लगाया गया था कि यह सकल घरेलू उत्पाद का 3.2 प्रतिशत रहेगा. उन्होंने मीडिया में आयी खबरों के हवाले से कहा कि वित्तीय सेवा कंपनी मार्गन स्टेनली ने वित्तीय घाटा 3.5 प्रतिशत तक पहुंचने की अनुमान जताया है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के मूल्य बहुत निचले स्तर पर पहुंच जाने के बावजूद पेट्रोलियम पदार्थों पर मिलने वाला लाभ भारतीय उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाया. इस पर लगाये गये कराधान से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को करीब छह लाख करोड़ रुपये का लाभ पहुंचा है.
उन्होंने कहा कि ओनएनजीसी-एचपीसीएल सौदा भारत सरकार के विनिवेश लक्ष्य पूरे हो सके, इसलिए किया गया है. मोदी सरकार अपने शासनकाल के पहले साल में निवेश लक्ष्य से 44 प्रतिशत, दूसरे साल 41 या 42 प्रतिशत और तीसरे साल 20 प्रतिशत पीछे रही. किंतु लक्ष्य को पूरा करने के लिए क्या इस तरह का विनिवेश किया जाएगा. ‘‘यह मोदी सरकार की बाजीगरी की आम शैली है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें कहाँ संतुलन है. बरगलाने की प्रक्रिया है. अकाउंटेसी को झूठ-मूठ, तोड़-मरोड़ कर लोगों को मूर्ख बनाने की प्रक्रिया….’’