समीक्षा कहती है, ‘‘बढ़ते एनपीए, रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए ऊंचा जोखिम प्रावधान तथा क्षेत्र के घटते मुनाफे की वजह से बैंक इस क्षेत्र को ऋण देने में कतरा रहे हैं.’’
रीयल एस्टेट क्षेत्र को कर्ज सहायता बैंकों की ओर से मिली कर्ज सहायता का हिस्सा 2016 में जोरदार गिरावट के साथ 17 प्रतिशत रह गया. संसद में सोमवार (29 जनवरी) को पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि संपत्ति क्षेत्र में बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) तथा निचले मुनाफे की वजह से बैंक इस क्षेत्र को कर्ज देने से कतरा रहे हैं. 2013 में रीयल्टी क्षेत्र को कर्ज में बैंकों का हिस्सा 68 प्रतिशत रहा था. समीक्षा में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) के व्यक्तिगत आवास ऋण पोर्टफोलियो में बढ़ते एनपीए पर भी चिंता जताई गई है.
समीक्षा कहती है, ‘‘बढ़ते एनपीए, रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए ऊंचा जोखिम प्रावधान तथा क्षेत्र के घटते मुनाफे की वजह से बैंक इस क्षेत्र को ऋण देने में कतरा रहे हैं.’’ इसके मद्देनजर संगठित रीयल एस्टेट क्षेत्र को ऋण में बैंकों का हिस्सा 2013 के 68 प्रतिशत की तुलना में 2016 में घटकर 17 प्रतिशत रह गया.
समीक्षा में कहा गया है कि रीयल एस्टेट क्षेत्र को ऋण में निजी इक्विटी (पीई) कोषों तथा वित्तीय संस्थानों मसलन पेंशन कोषों और सॉवरेन संपदा कोषों का हिस्सा तेजी से बढ़ा है और इन्होंने बैंकों को पीछे छोड़ दिया है. पीई कोषों तथा वित्तीय संस्थानों का रीयल एस्टेट क्षेत्र को ऋण में हिस्सा 2013 के 14 प्रतिशत की तुलना में 2016 में 82 प्रतिशत पर पहुंच गया.
बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चाहिए 4500 अरब डालर: आर्थिक समीक्षा
आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारत को अपने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अगले 25 साल में लगभग 4500 अरब डालर की जरूरत होगी जिसमें से वह लगभग 3900 अरब डालर जुटा लेगा. संसद में सोमवार (29 जनवरी) को पेश आर्थिक समीक्षा 2017-18 के अनुसार वैश्विक बुनियादी ढांचा परिदृश्य के हिसाब से बढ़ते आय स्तरों व आर्थिक संपन्नता से अगले 25 साल में भारत में बुनियादी ढांचे के लिए मांग और बढ़ने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है, ‘भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि को बल देने व सामुदायिक कल्याण के लिए बुनियादी ढांचे के विकास हेतु 2040 तक 4500 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी.’
इसके अनुसार मौजूदा रुख के हिसा बसे भारत 4500 अरब डालर में से बुनियादी ढांचे के लिए 3900 अरब डॉलर जुटा सकता है. इसके अनुसार 2040 तक भारत के बुनियादी ढांचा निवेश में अंतर का संचयी आंकड़ा लगभग 52.6 करोड़ डालर रहेगा. इसके अनुसार निवेश की जरूरत व उपलब्धता में अंतर आने वाले वर्षों में बढ़ सकता है. इस अंतर को पाटने के लिए निजी क्षेत्र से निवेश के साथ साथ एनआईआईबी, एआईआईबी व न्यू डेवलपमेंट बैंक जैसे वित्तीय संस्थानों से निवेश जुटाने की जरूरत बतायी गई है.