ज्वैलरी सेक्टर को इस बार बजट से सोने के सोणा होने की उम्मीदें हैं. दरअसल, उम्मीद की जा रही है कि इस सेक्टर के बजट में अच्छे दिन वापस लौट आएंगे.
सोना कितना सोना है… ये लाइन अक्सर चर्चा में रहती है. खासकर बिजनेस और शेयर बाजार की भाषा में इसका खूब इस्तेमाल होता है. लेकिन, ज्वैलरी सेक्टर को इस बार बजट से सोने के सोणा होने की उम्मीदें हैं. दरअसल, उम्मीद की जा रही है कि इस सेक्टर के बजट में अच्छे दिन वापस लौट आएंगे. मोदी सरकार के कालेधन पर चलाए अभियान से पिछले कुछ वर्षों में ज्वैलरी सेक्टर मुश्किल दौर से गुजर रहा है. लेकिन, इस बार बजट में ज्वैलर्स को बड़ी राहत मिल सकती है.
सेक्टर के लिए क्या है खास
सूत्रों की मानें तो नीति आयोग में गठित वातल कमिटी ने वित्त मंत्रालय को सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी खत्म करने का सुझाव दिया है. साथ ही सोने पर लॉन्ग टर्म पॉलिसी बनाने और इसके लिए गोल्ड बोर्ड और बुलियन एक्सचेंज शुरू करने जैसे सुझाव भी शामिल हैं. हालांकि, इस सेक्टर के लिए सिफारिशें इससे पहले भी होती रही हैं, लेकिन काले धन और चालू खाता घाटा बढ़ने की आशंका के चलते सरकार ने इस सेक्टर को पिछले कई सालों में कोई खास सौगात नहीं दी.
वापस लौटेंगे सोने के दिन
नीति आयोग का सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का सुझाव है. लेकिन, वातल कमिटी का इंपोर्ट ड्यूटी खत्म करने का सुझाव है, जो फिलहाल वित्त मंत्रालय के समक्ष है. फिलहाल, सोने पर 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगती है. इसलिए वातल कमिटी ने इसे खत्म करके गोल्ड बोर्ड बनाने की सिफारिश की है. यह बोर्ड वित्त मंत्रालय के तहत काम करेगा. सोने से जुड़ी सभी पॉलिसी गोल्ड बोर्ड में लाई जाएंगी. साथ ही सोने की खरीद-बिक्री के लिए बुलियन एक्सचेंज बनाने की भी सिफारिश की गई है.
ज्वैलर्स की हैं वित्त मंत्री से ये मांगें
1. सोने से इंपोर्ट ड्यूटी घटाकर 4 फीसदी की जाए
2. ज्वैलरी एक्सपोर्ट बढ़ाने पर फोकस करे सरकार
3. ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग पूरी तरह लागू करने की मजबूत व्यवस्था बनाई जाए
4. ज्वैलर्स को भी अशोक चक्र वाले सिक्के बेचने की इजाजत मिले
बड़ा है सोने का बाजार
भारत में सोने का बाजार देखें तो साल 2013 में सालाना 975 टन सोना इंपोर्ट हुआ था, जबकि साल 2014 में सालाना 811 टन सोना इंपोर्ट किया गया था. वहीं, साल 2017 में सालना 846 टन सोना इंपोर्ट किया गया था.