वित्त मंत्री अरुण जेटली आम बजट पेश करेंगे तो उम्मीदें भरी निगाहें उन्हें देख रही होंगी. इस बार का बजट इसलिए भी खास है क्योंकि इसे महिला सशक्तिकरण से जोड़कर देखा जा रहा है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली आम बजट पेश करेंगे तो उम्मीदें भरी निगाहें उन्हें देख रही होंगी. इस बार का बजट इसलिए भी खास है क्योंकि इसे महिला सशक्तिकरण से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल, इकोनॉमिक सर्वे में महिला सशक्तिकरण को लेकर काफी जोर था. माना जा रहा है कि इस बजट में खास तौर पर महिलाओं के लिए कई लाभकारी कदमों की घोषणा की जा सकती है.
EPF में मिलेगा बड़ा फायदा
सूत्रों की मानें तो बजट में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की संचालित योजनाओं में महिला कर्मियों के लिए कॉन्ट्रिब्यूशन रेट को कम किया जा सकता है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि महिला कर्मियों के लिए पीएफ योजनाओं में कॉन्ट्रिब्यूशन रेट 6 से 10 फीसदी के बीच हो सकता है.
महिला रोजगार पर जोर
महिलाओं के लिए रोजगार बढ़ाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहन देने जैसे बजट में ऐलान किए जा सकते हैं. वर्तमान में ईपीएफओ योजना के तहत कर्मचारियों के हिस्से के तौर पर 12 फीसदी का कॉन्ट्रिब्यूशन रेट है और इंप्लॉयर की ओर से 9.49 फीसदी का कॉन्ट्रिब्यूशन रेट है. औपचारिक क्षेत्र के कर्मचारी ईपीएफओ से बीमा, पेंशन तथा भविष्य निधि जैसे लाभ पाने के हकदार होते हैं. 20 कर्मचारियों वाले सभी संस्थान में ईपीएफओ लागू होता है.
श्रम बल में अंतर खत्म करने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक, बजट में देश के श्रम बल में महिला-पुरुष के व्यापक अंतर को कम करने के लिए प्रयास किया जाएगा. इसकी झलक आर्थिक समीक्षा 2017-18 में भी दी गई. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि देश के मौजूदा श्रमबल में महिला-पुरुषों के बीच अंतर 50 फीसदी से भी अधिक है. सोमवार को सदन में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे का रंग भी गुलाबी रखा गया, जो महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास को दर्शाता है.
महिला के लिए और भी बहुत कुछ
बजट में औपचारिक क्षेत्र में कर्मचारियों की नियुक्ति की लागत को भी कम करने की कोशिश की जा सकती है. साथ ही महिला कर्मचारियों के हाथ में मिलने वाले वेतन को बढ़ाने के उपायों की घोषणा हो सकती है. इनमें कर्मचारी डिपॉजिट लिंक्ड योजना (ईडीएलआई) में महिला कर्मचारियों के अंशदान को कम करने का ऐलान हो सकता है. इंप्लॉयर को ईडीएलआई योजना में अपने हिस्से के तौर पर 0.5 फीसदी का भुगतान करना होता है.