किसानों को उनकी फसल पर आने वाली लागत का डेढ़ गुना एमएसपी बढ़ाकर देने की बात है. लेकिन, क्या किसानों को वाकई इसका फायदा मिलेगा?
आम बजट में किसानों को खुश करने के लिए वित्त मंत्री ने कई तोहफे दिए. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात हो या फिर उनकी फसल पर आने वाली लागत का डेढ़ गुना एमएसपी बढ़ाकर देने की बात. सुनकर लगता है कि किसानों को बड़ी राहत मिली है. लेकिन, क्या वाकई किसानों को इसका फायदा मिलेगा? या फिर यह सिर्फ किसानों को खुश करने भर के लिए था. अगर वित्त मंत्री की बात सुने तो लगेगा किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा, लेकिन दूसरी तरफ आंकड़ों को देखें तो पता चलता है किसानों को उल्टा घाटा होगा. इसके पीछे एमएसपी का कैलकुलेशन है. आइये समझते हैं कैसे…
तीन तरह की लागत लगती है
1. कृषि क्षेत्र की सिफारिशें देने के लिए बनी स्वामीनाथन कमीशन ने फसल की लागत को तीन हिस्सों में बांटा था.
2. पहला A2, दूसरा A2+FL और तीसरा C2 के तहत किसानों की लागत का अनुमान लगाया जाता है.
3. पहले हिस्से यानी A2 में किसानों की लागत में बीज, खाद, केमिकल, सिंचाई, ईंधन शामिल होते हैं.
4. A2+FL में किसानों की लागत में परिवार के सदस्यों की अनुमानित लागत को भी जोड़ा जाता है.
5. C2 में किसानों की लागत में फसल उत्पादन के अलावा जमीन पर लगने वाले लीज रेंट और दूसरे कृषि खर्च पर मिलने वाला ब्याज शामिल किया जाता है.
अभी स्थिति कुछ साफ नहीं
बजट में ऐलान किया गया कि किसानों को उनकी फसल की लागत पर 50 फीसदी एमएसपी मिलेगा. लेकिन, कौन से हिस्से पर एमएसपी पर मिलेगा यह साफ नहीं किया गया. किसानों को अगर C2 लागत पर 50 फीसदी एमएसपी मिले तो ही उन्हें फायदा होगा. अगर A2 हिस्से में MSP लगता है तो 50 फीसदी मिलने के बावजूद किसानों को लागत का काफी कम मूल्य मिलेगा. स्वामीनाथन कमीशन ने भी 2006 की अपनी रिपोर्ट में C2 लागत पर 50 फीसदी एमएसपी देने की सिफारिश की थी.
किसानों को कितना बचेगा
आंकड़ों की बात करें तो 2017-18 में गेहूं की A2+FL लागत 817 रुपए प्रति कुंतल है. अगर इसमें 50 फीसदी लागत जोड़ दी जाए तो एमएसपी 1325 रुपए प्रति कुंतल होगी. वहीं, गेहूं की C2 लागत 1256 रुपए प्रति कुंतल बैठती है और इसमें 50 फीसदी लागत जोड़ने से एमएसपी 1879 रुपए प्रति कुंतल होगी. जबकि, केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2017 में गेहूं का एमएसपी 1735 रुपए प्रति कुंतल तय किया था. अगर इस गणित को समझें तो किसान को MSP डेढ़ गुना बढ़ने के बाद भी गेहूं पर 144 रुपए प्रति कुंतल कम मिलेंगे. यानी कुल मिलाकर घाटा ही रहेगा.
कैसे आय होगी दोगुनी
किसानों की आय दोगुनी करने की बात भी कागजी लगती है. क्योंकि, पिछले साल वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में किसानों के लिए 41,886 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया था. इसे बाद में संशोधित करके 41,105 करोड़ रुपए किया गया. इस बार के बजट की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2018-19 में 46,700 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है. मतलब कृषि क्षेत्र को सिर्फ 4 हजार 845 करोड़ रुपए बढ़कर मिलेंगे. ऐसे में 2022 तक कैसे किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है.
योगेंद्र यादव ने उठाए सवाल
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि यूपीए सरकार लागत का 70 फीसदी एमएसपी दे रही थी. ऐसे में वित्त मंत्री ने इस बजट में किसानों को लागत का 50 फीसदी एमएसपी बढ़ाकर देने का जो वादा किया है, वो किसी तरह से किसानों का फायदा नहीं दे सकता.
FM is using sleight of hand in talking about "Cost of production". Instead of promising 50% 'net returns' over 'C2 cost', as recommended by Swaminathan Commission, he is talking about 'gross returns' over 'A2+FL costs'.
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) February 1, 2018
योगेंद्र यादव के ट्वीट से समझिए पूरा गणित
योगेंद्र यादव ने किसानों को दिए जाने वाले एमएसपी को लेकर एक ट्वीट किया है. इसमें उन्होंने समझाया है कि यूपीए-2 सरकार किसानों को A2+FL लागत पर 70 से 80 फीसदी तक ज्यादा एमएसपी देती थी. वहीं, एनडीए सरकार किसानों को इसी लागत पर 40 से 50 फीसदी तक एमएसपी दे रही है.