8 नवबंर, आज नोटबंदी को 1 साल पूरा हो गया है.
8 नवबंर, आज नोटबंदी को 1 साल पूरा हो गया है. सरकार ने पूरे साल अपने फैसले का बचाव किया और इसके फायदे गिनाए. अभी भी सरकार नोटबंदी के फायदे गिना रही है. वित्त मंत्रालय का दावा है कि नोटबंदी के बाद से अब तक काले धन को खत्म करने, नकली नोट को बाहर लाने और नकद ट्रांजैक्शन को कम करने में मदद मिली है. नोटबंदी की सालगिरह पर सरकार, नेताओं से लेकर बैंकर्स ने भी इसकी सराहना करते हुए फायदे गिनाए हैं. वित्त मंत्रालय ने ट्विटर के जरिए नोटबंदी के फायदे गिनाए. हम आपको ऐसे ही 10 बातें बता रहे हैं जो साबित करती हैं कि नोटबंदी से क्या फायदा हुआ…
नोटबंदी से ये हुए फायदे
1. नोटबंदी के बाद के एक साल में बैंकों ने ब्याज दरों में 1 फीसदी तक की कटौती की. डिपॉजिट रेट में भी 0.2 फीसदी तक की कटौती की गई.
2. 4 अगस्त 2017 तक नकद ट्रांजैक्शन 17.77 लाख करोड़ से घटकर 14.75 लाख करोड़ पर आया.
3. नोटबंदी के बाद अब केवल 83 फीसदी नकदी प्रभावी रूप से सर्कुलेशन में है.
4. नोटबंदी के बाद कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिला. अक्टूबर तक साल भर में हर महीने औसतन 136-138 करोड़ रुपए के डिजिटल लेनदेन हुए.
5. टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में 25.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. 56 लाख नए टैक्सपेयर्स जुड़े. 2016-17 में टैक्स रिटर्न 2.79 करोड़ के पार पहुंचा. जो 2015-16 में 2.23 करोड़ रहा था.
6. 17.92 लाख ऐसे लोगों की पहचान हुई जिनके बैंक अकाउंट में डिपॉजिट रकम का मेल उनकी आय से नहीं हुआ.
7. नोटबंदी के बाद महज 45 दिन में जनधन खातों में रकम बढ़कर 87,100 करोड़ रुपए हुई.
ऐप बेस्ड ट्रांजैक्शन में तेजी आई
UPI-BHIM से नवंबर 2016 में 0.1 लाख, अक्टूबर 2017 तक 23.36 लाख रुपए
AEPS से नवंबर 2016 में 12.06 लाख, अक्टूबर 2017 में 29.08 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन
IMPS से नवंबर 2016 में 8.96 लाख, अक्टूबर 2017 में 32.42 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन
एम-वॉलेट से नवंबर 2016 में 46.03 लाख, अक्टूबर 2017 में 72.72 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन
डिजिटल ट्रांजैक्शन का फायदा
2017-18 में डायरेक्ट बनिफिट ट्रांजैक्शन के जरिए 6.28 लाख करोड़ रुपए दिए गए.
अक्टूबर 2016 में जहां PoS मशीन 15 लाख थीं, वहीं अगस्त 2017 में ये बढ़कर 29 लाख हुईं.
78% बैंक खाते मोबाइल से जोड़े गए, 73% बैंक खातों को आधार से लिंक किया गया.
होम लोन हुआ सस्ता
रिपोर्ट्स की मानें तो नोटबंदी के बाद होम लोन सस्ता हुआ. नोटबंदी यानि demonetisation के बाद बैंकों में काफी पैसा आया जो बैंको ने आम आदमी को सस्ते कर्ज के रूप में दिया.
फर्जी कंपनियां हुईं बंद
नोटबंदी के बाद करीब 2.24 ऐसी कंपनियों को बंद कर दिया गया, जिन्होंने 2 साल से कोई भी कामकाज नहीं किया. साथ ही 3 लाख डायरेक्टरों को अयोग्य घोषित किया गया.