सीबीआई के अनुसार उसने यह सुनिश्चित किया है कि कानून के उल्लंघन से जुड़ी प्रत्येक सूचना पर गौर किया जाएगा और उसकी जांच की जाएगी तथा जरूरत पड़ने पर मामले दर्ज किये जाएंगे.
सीबीआई ने नोटबंदी के बाद अवैध तरीके से मुद्रा बदलने से जुड़े 84 मामलों में 396 करोड़ रुपये का कालाधन का पता लगाया. इन मामलों को सीबीआई ने दर्ज किया है. सरकार ने एक साल पहले 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर पाबंदी लगायी थी. जांच एजेंसी ने बुधवार (8 नवंबर) को यहां जानकारी दी. इन 84 मामलों में सात प्रारंभिक जांच के मामले शामिल हैं. ये मामले वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी-बैंकों, डाकघरों, रेलवे और बीमा कंपनी में धोखाधड़ी कर चलन से हटाये गये नोटों को बदले जाने से जुड़े हैं. सीबीआई के अनुसार उसने यह सुनिश्चित किया है कि कानून के उल्लंघन से जुड़ी प्रत्येक सूचना पर गौर किया जाएगा और उसकी जांच की जाएगी तथा जरूरत पड़ने पर मामले दर्ज किये जाएंगे. एजेंसी को आम लोगों से 92 शिकायतें मिली हैं. इन शिकायतों में विभिन्न संगठनों में अवैध लेन-देन की सूचना दी गयी है.
वहीं दूसरी ओर नोटबंदी को ‘संगठित लूट और वैधानिक डाका’ बताये जाने को लेकर मनमोहन सिंह की आलोचना करते हुए सीतारमण ने उनके द्वारा इस कदम के खिलाफ इस तरह के ‘कड़े शब्दों’ का प्रयोग करने पर अफसोस प्रकट किया. उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को मजबूत करना था और इससे किसी को कोई निजी फायदा पहुंचाना नहीं था. सीतारमण ने यहां तमिलनाडु भाजपा इकाई के मुख्यालय ‘कमलालयम’ में पत्रकारों से कहा, ‘असल में संगठित लूट और वैधानिक डाका उस समय डाला गया था जब वह प्रधानमंत्री थे.’
2जी स्पेक्ट्रम और अदालतों में इससे संबंधित मामलों समेत घोटालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में ये सब मनमोहन सिंह के शासनकाल के दौरान हुआ था, ‘उन्होंने इस संबंध में बात नहीं की और ऐसा दिखाई देता है जैसे कि वह कहीं नजरें फिराके बैठे है.’ काला धन विरोधी दिवस पर भाजपा की तमिलनाडु इकाई के कार्यक्रमों में भाग लेने आई सीतारमण ने कहा कि सिंह ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बावजूद काला धन की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन नहीं किया था. उन्होंने कहा कि केन्द्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने सबसे पहला कदम उठाते हुए एसआईटी का गठन किया था. उन्होंने कहा, ‘डा मनमोहन सिंह वैधानिक डाका कहां डाला गया था. मैं बहुत निराश हूं.’