मंत्री आर.के. सिंह ने कहा, ‘‘देश में बिजली वितरण को लेकर पहले से सेवा बाध्यता है, इसे और स्पष्ट बनाया जाएगा. देश में बिजली की कोई कमी नहीं है.’’
बिजली मंत्री आर के सिंह ने शुक्रवार (24 नवंबर) को कहा कि सरकार हर घर को सातों दिन 24 घंटे सस्ती बिजली देने की दिशा में काम कर रही है और इसका पूरा दायित्व वितरण कंपनियों पर होगा. सिंह ने यह भी कहा कि हम अपतटीय क्षेत्र तथा देश के भीतर मौजूद बड़े जलाशयों में पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाने पर गौर कर रहे हैं. साथ ही देश में आने वाले समय में सौर ऊर्जा उपकरणों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये परियोजनाओं को विनिर्माण से जोड़ा जाएगा.
पवन और सौर ऊर्जा क्षेत्र में उत्पादन क्षमता की नीलामी योजना की रूपरेखा पेश किये जाने के मौके पर उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम हर घर को सातों दिन 24 घंटे बिजली देने के लिये काम कर रहे हैं और इसका पूरा दायित्व बिजली वितरण कंपनियों पर होगा. इसे लागू करने के लिये जो भी सहायता की जरूरत होगी, हम देंगे.’’ मंत्री ने कहा, ‘‘देश में बिजली वितरण को लेकर पहले से सेवा बाध्यता है, इसे और स्पष्ट बनाया जाएगा. देश में बिजली की कोई कमी नहीं है, हमारी पारेषण प्रणाली मजबूत है. राज्य के अंदर पारेषण की जरूर समस्या है, जिसे दूर करने के लिये राज्यों के साथ काम किया जा रहा है.’’
हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि इसे कब तक बाध्यकारी बनाया जाएगा. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने कहा, ‘‘सौर ऊर्जा क्षेत्र में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये हम 20,000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं की नीलामी करेंगे और इसे विनिर्माण से जोड़ेंगे. यानी इसमें वहीं कंपनियां भाग ले सकेंगी जो सौर ऊर्जा से जुड़े उपकरण का विनिर्माण यहां करेंगी. इसके लिये जल्दी ही वैश्विक निविदा जारी की जाएगी.’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘पवन और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हम नये क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं. इसके तहत तमिलनाडू और गुजरात के अपतटीय क्षेत्र में पवन ऊर्जा तथा देश के भीतर मौजूदा जलाशयों में सौर परियोजनाएं लगाने की दिशा में काम कर रहे हैं.’’
सिंह ने कहा कि जलाशयों में सौर परियोजनाएं लगाने के लिये अधिकारियों की एक टीम भाखड़ा नांगल गयी ताकि यह पता लगाया जा सके कि वहां कितनी क्षमता की परियोजनाएं लगायी जा सकती है. अपतटीय क्षेत्र में सर्वे का काम जारी है. ‘‘ इन सब उपायों से हम 2022 तक अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में लक्ष्य से अधिक 2,00,000 मेगावाट क्षमता सृजित करने की उम्मीद कर रहे हैं.’’ उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 1,75,000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है.
मंत्री ने कहा कि अब भी कई बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है और इसके लिये सरकार स्मार्ट मीटर और प्रीपेड मीटर की व्यवस्था लागू करेगी ताकि बिलों का भुगतान सही तरीके से हो. उन्होंने यह भी कहा कि अक्षय ऊर्जा खरीद समझौता (आरपीओ) और बिजली खरीद समझौते को अनिवार्य किया जाएगा. सब्सिडी का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि यह प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये दिया जाना चाहिए और एक ग्राहक की कीमत पर दसूरे ग्राहक से अधिक बिजली शुल्क लेने की व्यवस्था क्रास सब्सिडी अधिक नहीं होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र में तीन-चार कंपनियां होनी चाहिए और ग्राहकों को कंपनी चुनने का विकल्प मिलना चाहिए.