सरकार ने चालू वित्त वर्ष अप्रैल-मार्च 2017-18 के बजट में रिजर्व बैंक से प्राप्त होने वाले लाभांश का प्रावधान 58,000 करोड़ रुपये किया है.
सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से किसी भी तरह के अतिरिक्त लाभांश की मांग नहीं की है. वह सिर्फ उसके पास पड़े 13,000 करोड़ रुपये के अधिशेष की मांग कर रही है. यह जानकारी आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने दी. रिजर्व बैंक ने अपने वित्त वर्ष जुलाई-जून 2016-17 के लिए अगस्त में सरकार को 30,659 करोड़ रुपये का लाभांश दिया था. यह उसने पिछले वित्त वर्ष 2015-16 में दिए गए 65,876 करोड़ रुपये के लाभांश के आधे भी कम है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष अप्रैल-मार्च 2017-18 के बजट में रिजर्व बैंक से प्राप्त होने वाले लाभांश का प्रावधान 58,000 करोड़ रुपये किया है.
गर्ग ने कहा, ‘‘इस समय में किसी तरह के विशेष लाभांश की मांग करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. रिजर्व बैंक से सिर्फ वह मांग की गई है जो उसने इस साल कमाई की है लेकिन किसी को बांटी नहीं है. यह करीब 13,000 करोड़ रुपये है. सरकार ने रिजर्व बैंक को यही राशि हस्तांतरित करने का सुझाव दिया है.’’
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का लाभ करीब 44,000 करोड़ रुपये रहा है जिसमें उसने लगभग 30,000 करोड़ रुपये लाभांश के तौर पर बांट दिए और 13,000 करोड़ रुपये को जोखिम एवं भंडार के तौर पर रख लिया है. इसलिए सरकार का सुझाव है कि रिजर्व बैंक 13,000 करोड़ रुपये भी हस्तांतरित कर सकता है. उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले महीने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की थी.
इसकी तैयारियों के बारे में गर्ग ने कहा, ‘‘पूंजी डालने के पैकेज की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. वित्तीय सेवा विभाग इसके लिए काम कर रहा है और जल्द ही हम सभी मुद्दों का समाधान करेंगे.’’ गौरतलब है कि 2.11 लाख करोड़ रुपये में से 1.35 लाख करोड़ रुपये की राशि पुन:पूंजीकरण बांड के माध्यम से जुटायी जानी है. बाकी 76,000 करोड़ रुपये सरकार बजटीय आवंटन और बैंकों की हिस्सेदारी बेचकर पूंजी बाजार से जुटाए जाने हैं.