भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन की ओर से कही गई बातों के जरिए जानने की कोशिश करते हैं कि इस बार के बजट का क्या मूड हो सकता है.
आम बजट 2018 को पेश होने में चंद घंटे बचे हैं. इस बार के बजट को लेकर आम जनता को कुछ ज्यादा की उम्मीदें हैं. आर्थिक मामलों के जानकार कह रहे हैं कि इस बार को बजट लोकलुभान हो सकता है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि मौजूदा मोदी सरकार के पास बजट पेश करने का यह आखिर मौका है. आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट भाषण में लोकलुभावन घोषणाएं कर सकते हैं, हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि देश के आर्थिक हालात सुधारने के लिए सरकार फैसले लेने में पीछे नहीं हटेगी. ऐसे में आम लोगों के बीच आम बजट 2018 को लेकर उत्सुकता बनी हुई है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए जी मीडिया ग्रुप ने भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन से खास बातचीत की. आइए इस इंटरव्यू में अरविंद सुब्रमण्यन की ओर से कही गई बातों के जरिए जानने की कोशिश करते हैं कि इस बार के बजट का क्या मूड हो सकता है.
1. GST और नोटबंदी का असर खत्म: पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से जारी GDP के आंकड़े में देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होने की बात कही गई थी. इस पर अरविंद सुब्रमण्यनने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में रिकवरी हो रही है. हमें उम्मीद है कि ग्रोथ को बूस्ट मिलेगा. ग्रोथ कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है. एक्सपोर्ट को बूस्ट मिल सकता है.’ उन्होंन कहा कि GST और नोटबंदी का असर अब नहीं है. पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
2. पेट्रोलियम को GST में लाने से सरकार को होगा नुकसान: वित्त मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि ये बात सही है कि तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. कीमतें बढ़ने से इसे GST में लाने की मांग तेज हुई हैं. मैं भी मानता हूं कि इन्हें नियंत्रित करने के लिए पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST में लाना जरूरी है. GST में आने से तेल कीमतें कम होंगी. हालांकि हमें ये भी ध्यान देना होगा कि पेट्रोलियम GST में आया तो सरकार का रेवेन्यू घटेगा.
3. GST से बढ़ा सरकार का रेवेन्यू: अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि GST से रेवेन्यू ग्रोथ काफी अच्छी रही है. एक-दो तिमाहियों में तस्वीर और साफ होगी. तस्वीर साफ होने के बाद GST में और बदलाव करेंगे. बिजली, तेल को GST में लाने पर विचार करेंगे. GST रेट स्ट्रक्चर को आसान करने पर विचार करेंगे.
4. समाज में बेटियों से होता है भेदभाव: अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि समाज में लिंग भेद काफी ज्यादा है. समाज में लड़कियों के प्रति भेदभाव का माहौल है. हमें आर्थिक मोर्चे पर भी इस तरह की कार्यप्रणाली शुरू करने होंगे ताकि लिंग भेदभाव कम हो सके.
5. कोर्ट में अटके हैं इनकम टैक्स के मामले: इनकम टैक्स के मामलों में आरोपियों पर कार्रवाई में होने वाली देरी पर अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि Ease of Doing Business में बेहतर काम किया है. कई क्षेत्र में और बेहतर काम करना होगा. न्यायपालिका सिस्टम को बेहतर करना होगा. आज भी कोर्ट में काफी मामले लंबित हैं. Ease of Doing Business पर इसका असर पड़ता है. कोर्ट में इनकम टैक्स के कई मामले पड़े हैं.
6. इस वजह से नहीं बढ़ रहे निजी निवेश: अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि निजी निवेश नहीं बढ़ने के कई कारण हैं. कई निजी कंपनियों ने काफी कर्ज लिया था. सरकार इसे बेहतर करने के कई कदम उठा रही है. लोन न चुकाने के कई मामलों को NCLT भेजा गया. बैंकों के रीकैप पर भी सरकार ने फोकस किया है.
7. किसानों की हालत सुधारना हमारा लक्ष्य: अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि सरकार का पूरा फोकस किसानों की हालत सुधारने और कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने पर है. हालांकि उन्होंने इकनॉमी सर्वे में कही गई बातों को दोहराते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2019 में GDP ग्रोथ 7-7.5 फीसदी रहने की उम्मीद है. उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत का विकास दुनिया की विकास दर पर काफी कुछ निर्भर करता है. क्रूड की लगातार बढ़ती कीमतें परेशान करने वाली हैं.