पेट्रोल-डीजल के सस्ते होने का इंतजार कर रहे लोगों को बड़ा झटका लगने वाला है. जल्द ही पेट्रोल के दाम घटने के बजाए बढ़ने वाले हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो पेट्रोल की कीमतें 80 रुपए के पार जा सकती है. वहीं, डीजल में भी आग लगने वाली है, इसकी कीमत 65 रुपए तक जाने की संभावना है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें अपने 2 साल के उच्चतम स्तर पर है. 2015 के बाद पहली बार कच्चा तेल 62 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया है. हाल ही में सरकार ने घरेलू गैस के दाम बढ़ाए थे. इससे साफ है कि लोगों को एक बार फिर महंगाई का झटका झेलना पड़ सकता है.
2 साल की ऊंचाई पर कच्चा तेल
जुलाई 2015 में कच्चा तेल 62 डॉलर प्रति बैरल पहुंचा था. सरकार ने इस साल की शुरुआत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की थी. दरअसल, उस वक्त कच्चा तेल 55 डॉलर प्रति बैरल था, जो जून में लुढ़कर 44 डॉलर तक आ गया था. लेकिन, पिछले एक महीने में कच्चे तेल की कीमतों में 10 फीसदी की तेजी आई है. अगर, जून 2017 के बाद की बात करें तो कच्चे तेल की कीमत में 36 फीसदी का इजाफा हुआ है. डब्ल्यूटीआई क्रूड (यूएस वैस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट) की कीमत भी इन दिनों 54.94 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है. जून के बाद से डब्ल्यूटीआई क्रूड 30 फीसदी महंगा हुआ है. आसार हैं कि दिसंबर अंत तक कच्चे तेल की कीमतें 64 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के बजाए बढ़ने की उम्मीद है.
एक्सपर्ट की नजर में बढ़ेंगे दाम
सीनियर एनालिस्ट अजय केडिया के मुताबिक, 2 साल में कच्चे तेल की कीमतें लगातार उतार-चढ़ाव रहा है. अब क्रूड 2 साल की ऊंचाई पर है तो इसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ेगा. हालांकि, डॉलर इंडेक्स में मजबूती से कीमतों को थोड़ा सहारा मिल सकता है, लेकिन डॉलर इंडेक्स में उतनी तेजी से उतार-चढ़ाव नहीं है. पिछले एक हफ्ते में रुपए में मजबूती जरूर आई है, लेकिन वो पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर असर डालने के लिए काफी नहीं है. केडिया के मुताबिक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 1 रुपए या उससे ज्यादा का इजाफा हो सकता है.
नोमुरा की रिपोर्ट में भी जिक्र
नोमुरा का कहना है कि क्रूड की बढ़ती कीमतों से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा. क्रूड की कीमतें बढ़ने से वित्तीय घाटा बढ़ने की उम्मीद है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी तेजी देखने को मिली सकती है. लेकिन, सरकार एक्साइज घटाकर इसे कंट्रोल करने में सक्षम है. वहीं, क्रूड के दामों में इजाफे से रिटेल महंगाई भी 0.6-0.7% तक बढ़ सकती है.
ओपेक देशों ने घटाया उत्पादन
ओपेक देशों ने कच्चे तेल का उत्पादन 1.8 मिलियन बैरल तक घटा दिया. हालांकि, डिमांड ज्यादा होने के कारण इसकी कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. वैश्विक संकेतों से लगता है कि कच्चे तेल की कीमतें आगे और बढ़ेंगी, जिसका असर देश में भी देखने को मिलेगा. अजय केडिया के मुताबिक के मुताबिक, लोगों पर इसका बोझ ज्यादा न पड़े, इसके लिए पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाना चाहिए. अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतें और बढ़ीं तो महंगाई का झटका लगेगा.
वैट घटाने के बाद पैट्रोल हुआ महंगा
3 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर लगने वाले वैट की दरों में कटौती की थी. उस दिन दिल्ली में पेट्रोल 70.88 रुपए था. 4 अक्टूबर को यह घटकर 68.38 रुपए हो गया था. 1 नवम्बर को एक बार फिर से यह 69.14 रुपए हो गया है. इस हिसाब से ही देश के अन्य शहरों में फिर से दाम एक माह के पुराने स्तर से ज्यादा पर पहुंच गए हैं.
डीजल भी पीछे नहीं
डीजल की कीमतों में भी यही हाल है. वैट कटौती की घोषणा से पहले 3 अक्टूबर को दिल्ली में डीजल की कीमत 59.14 रुपए थी. सरकार की घोषणा के बाद 4 अक्टूबर को यह करीब 2.25 रुपए घटकर 56.89 हो गया. इसके बाद डीजल के दाम लगातार बढ़े हैं और 1 नवम्बर को यह 57.73 रुपए हो गया है. कोलकाता में डीजल 60.39 रुपए, मुम्बई में 60.32 रुपए और चेन्नई में यह 60.79 रुपए हो गया है.