विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 1.2% रह गई.
जुलाई महीने में देश में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर में कमी आई है और यह 1.2% रही है.वहीं अगस्त महीने की मुद्रास्फीति की दर पांच महीने के उच्चस्तर 3.36% पर पहुंच गई है. इसके बावजूद यह रिजर्व बैंक के 4 से 6 प्रतिशत के मुद्रास्फीति के लक्ष्य से कम है. ऐसे में इस बात की संभावना बनी है कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कटौती करेगा. विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 1.2% रह गई.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार फल और सब्जियां महंगी होने की वजह से अगस्त माह में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 3.36% पर पहुंच गई है जो जुलाई में 2.36% पर थी.केंद्रीय बैंक ने पिछले महीने मुद्रास्फीति में नरमी के चलते नीतिगत दरों यानी रेपो दर को चौथाई प्रतिशत घटाकर 6% किया था.
रिजर्व बैंक की अगली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक 4 अक्तूबर को होगी. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर चिंतित होने के सवाल पर कहा, “निश्चित रूप से नहीं.वास्तव में मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के 4 से 6 प्रतिशत के लक्ष्य से कम है.” जून महीने में औद्योगिक उत्पादन 0.2% घटा था।
अप्रैल-जुलाई के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 1.7% रही है जो पिछले साल इसी अवधि में 6.5% रही थी. सूचकांक में 77.6% हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई में घटकर 0.1% रही जो 2016 के इसी महीने में 5.3% थी. पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन जुलाई में एक प्रतिशत घटा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 8.8% की वृद्धि हुई थी. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन आलोच्य महीने में 1.3% घटा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 0.2% की मामूली वृद्धि हुई थी.
हालांकि बिजली उत्पादन में जुलाई के दौरान 6.5% की वृद्धि हुई जो 2016 के इसी महीने में 2.1% थी.खनिज उत्पादन में भी आलोच्य महीने में 4.8% की वृद्धि हुई जो एक साल पहले जुलाई महीने में 0.9% थी. गैर-टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्र में वृद्धि दर जुलाई 2017 में 3.4% रही.