नोटबंदी के बाद वित्तीय अपराधों के तहत ईडी जिन अन्य श्रेणियों के मामलों की जांच कर रहा है उनमें भ्रष्टाचार (31 प्रतिशत), ड्रग्स एवं नारकोटिक्स व्यापार (6.5 प्रतिशत), हथियार और विस्फोटक (4.5 प्रतिशत) तथा अन्य (8.5 प्रतिशत) शामिल हैं.
नोटबंदी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) 3,700 से अधिक मनी लॉन्ड्रिंंग और हवाला सौदों की जांच कर रहा है. इन मामलों से 9,935 करोड़ रुपये की संपत्ति जुड़ी है. गुरुवार (9 नवंबर) को एक आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद कालेधन के सृजन पर अपनी कार्रवाई के तहत इन मामलो की जांच कर रहा है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने इन मामलों में जोखिम आकलन का भी काम किया है. पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी के बाद ये मामले दर्ज हुए हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में पाया कि ज्यादातर (43 प्रतिशत) वित्त अपराध बैंक धोखाधड़ी और वित्तीय संस्थानों को फर्जी या मुखौटा कंपनियों के जरिये चूना लगाकर किए जाते हैं.
नोटबंदी के बाद वित्तीय अपराधों के तहत ईडी जिन अन्य श्रेणियों के मामलों की जांच कर रहा है उनमें भ्रष्टाचार (31 प्रतिशत), ड्रग्स एवं नारकोटिक्स व्यापार (6.5 प्रतिशत), हथियार और विस्फोटक (4.5 प्रतिशत) तथा अन्य (8.5 प्रतिशत) शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद मामलों की समीक्षा से यह पता चलता है कि कंपनियों तथा पेशेवरों ने एक दूसरे से सांठगाठ की और कालेधन को सफेद करने के लिए मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल किया.
प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक कर्नल सिंह ने कहा कि एजेंसी कालेधन की बुराई के खिलाफ काम करने को प्रतिबद्ध है. साथ ही हम अपने कामकाज में पेशेवर रुख भी लाना चाहते हैं. एजेंसी ने पिछले साल आठ नवंबर से इस साल सितंबर तक कुल 3,758 मामले दर्ज किए हैं जिनकी जांच चल रही है. इनमें से 3,567 मामले विदेशी विनिमय कानून के तहत और 191 मामले मनी लांड्रिंग रोधक कानून के तहत हैं. कुल 777 कारण बताओ नोटिस और कुर्की आदेश जारी किए हैं. 620 छापेमारी की कार्रवाई की गई हैं.
इससे पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार (8 नवंबर) को कहा कि सरकार ने नोटबंदी के बाद एक ऐसी मुखौटा या जाली कंपनी का पता लगाया है जिसने 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन किया था. यही नहीं इस कंपनी के 2,000 से अधिक बैंक खाते थे. उन्होंने यहां कहा, ‘‘हम सार्वजनिक तौर पर जाली मुखौटा कंपनियों के बारे में बोल चुके हैं. ऐसी ही एक मुखौटा कंपनी के 2,000 से अधिक बैंक खाते थे.’’ उन्होंने कहा कि कंपनी ने इस बात का ब्योरा नहीं दिया था कि उसके पास यह पैसा कहां से आया. लेकिन यह बात सामने आई कि कंपनी के 2,000 से अधिक बैंक खाते थे.
मंत्री ने कहा कि कंपनी ने सरकार की 30 दिसंबर, 2016 की समयसीमा का लाभ उठाते हुए लोगों से बैंक खातों में 1,000 और 500 रुपये के बंद नोट जमा कराने का कहा था. सीतारमण ने कहा, ‘‘यह मामला सामने आया है. अब यह कंपनी बंद हो गई है.’’ उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि यदि नोटबंदी नहीं की जाती तो क्या यह मामला सामने आता.