डिजिटल भुगतान उद्योग की वृद्धि दर जो कि पहले 20 से 50 प्रतिशत के बीच थी, नोटबंदी के बाद बढ़कर 40-70 प्रतशित के बीच हो गई.
पिछले साल सरकार द्वारा नकदी रहित लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए नोटबंदी के कदम के बाद डिजिटल भुगतान से जुड़ी कंपनियों के कारोबार में पर्याप्त तेजी आई है. इन कंपनियों द्वारा डिजिटल लेनदेन के लिए और अधिक प्रोत्साहित करने के साथ अपने व्यवसाय को और मजबूत करने की संभावना है. एटम टेक्नोलॉजीज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवांग नेरल्ला ने कहा, “पिछले 12 महीनों में तीन गुना से ज्यादा वृद्धि देखी गयी. नोटबंदी से पहले हम मासिक 3,000 करोड़ रुपये का लेनदेन कर रहे थे, जो अब सभी कार्यक्षेत्र में 6800 करोड़ रुपये हो गया है.” उन्होंने संकेत दिया कि इस वृद्धि में सबसे ज्यादा योगदान ऑनलाइन भुगतान कारोबार का रहा.
हमारा ध्यान मोटे तौर पर शिक्षा, यात्रा टिकट वित्तीय सेवाओं, सी2जी भुगतान और केबल तथा वायरलेस उद्योगों पर रहा है और हमने नामांकन के साथ-साथ लेनदेन दोनों के मामलों में वृद्धि देखी है. नोटबंदी के बाद से भगुतान प्रसंस्करण में तीन गुना वृद्धि हुई है. हम अभी भी अपने ऑनलाइन भगुतान गेटवे से होने वाले लेनदेन में महीने दर महीने के आधार पर करीब 20 प्रतिशत वृद्धि देख रहे हैं.
पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया के मुताबिक, डिजिटल भुगतान उद्योग की वृद्धि दर जो कि पहले 20 से 50 प्रतिशत के बीच थी, नोटबंदी के बाद बढ़कर 40-70 प्रतशित के बीच हो गई. पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन नवीन सूर्या ने ध्यान दिया, “देश की नकदी रहित यात्रा में नोटबंदी सिर्फ एक पड़ाव है, गतंव्य स्थान नहीं. इसने देशवासियों को एक मजबूत मनोवैज्ञानिक संदेश दिया कि नकदी स्वागत योग्य नहीं है और नकदी का डिजिटलीकरण अपरिहार्य है. इसके परिणामस्वरूप सिर्फ एक वर्ष में पीओएस मशीनों की संख्या दो गुनी हो गयी है.”