रोजगार, सुस्त निवेश, अमेरिकी फेड वृद्धि नीतिगत चुनौतियां: जेटली

रोजगार, सुस्त निवेश, अमेरिकी फेड वृद्धि नीतिगत चुनौतियां: जेटली

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जेटली ने मौजूदा वर्ष और अगले वर्ष वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के आश्वासनपूर्ण रहने के आसार को ध्यान में रखने के साथ-साथ मध्यम अवधि में सावधानी बरतने की सलाह को भी ध्यान में रखा.

भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यहां अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा एवं वित्तीय समिति (आईएमएफसी) के ब्रेकफास्ट सत्र में भाग लिया, और इस दौरान नीतिगत चुनौतियों पर बात की. वित्त मंत्रालय की ओर से रविवार को जारी बयान के अनुसार, जेटली ने कहा कि रोजगार सृजन, वैश्विक निवेश में सुस्ती और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक स्थितियों को सामान्य करने के कदम के उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर संभावित प्रभाव तीन प्रमुख नीतिगत चुनौतियां हैं. जेटली ने मौजूदा वर्ष और अगले वर्ष वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के आश्वासनपूर्ण रहने के आसार को ध्यान में रखने के साथ-साथ मध्यम अवधि में सावधानी बरतने की सलाह को भी ध्यान में रखा.

उन्होंने पूर्व चेतावनी कवायद के तहत साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किए जाने की सराहना की और इस बात पर विशेष जोर दिया कि समूची वैश्विक वित्तीय प्रणाली को इससे खतरा है, क्योंकि यह आपस में काफी अधिक जुड़ गई है. जेटली ने इस संबंध में तीन नीतिगत चुनौतियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘पहली चुनौती यह है कि सामान्य मौद्रिक स्थिति बहाल करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा उठाए जा रहे साहसिक कदमों से उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) के समक्ष जोखिम उत्पन्न हो गए हैं. दूसरी चुनौती निवेश में वैश्विक सुस्ती और तीसरी चुनौती रोजगार को लेकर है.’

जेटली ने कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करेंगे कि वह अल्पकालिक पूंजीगत अस्थिरता को प्रबंधित करने हेतु विभिन्न देशों के लिए उपलब्ध एवं उनके द्वारा अमल में लाए जा रहे वृहद-विवेकपूर्ण और पूंजी प्रवाह प्रबंधन उपायों का उचित एवं निष्पक्ष आकलन करे. उन्होंने यह भी कहा कि भारत वर्तमान में दुनिया की उन कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जहां जनसांख्यिकीय परिवर्तन का अच्छा दौर देखा जा रहा है.

वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता हर साल श्रम बल में शामिल होने वाले 1.2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने के तरीके ढूंढ़ना है. जेटली ने आईएमएफसी के पूर्ण सत्र में भी भाग लिया, जिसमें संस्थागत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया. उन्होंने भारत की व्यापक ढांचागत सुधार पहलों पर प्रकाश डाला, जिनमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), विमुद्रीकरण और दिवाला एवं दिवालियापन संहिता शामिल हैं.

जेटली ने कोटे की समीक्षा पर आम सहमति सुनिश्चित करने की दिशा में अपेक्षित प्रगति न होने पर मिश्रित भावनाएं व्यक्त की. उन्होंने विश्व बैंक की समग्र विकास समिति की 96वीं बैठक में भी भाग लिया. बैठक के एजेंडे में विश्व विकास रिपोर्ट 2018 और विकास के लिए वित्त को उच्चतम सीमा तक बढ़ाने सहित कई विषय शामिल थे. वित्तमंत्री ने परामर्श और सहयोग की भावना के साथ ‘स्प्रिंग मीटिंग 2018’ तक शेयरधारिता समीक्षा को अंतिम रूप देने का आग्रह किया. जेटली ने ब्रिटेन और लंका के वित्त मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं. इस दौरान आपसी रिश्ते प्रगाढ़ करने के लिए द्विपक्षीय सहयोग के व्यापक पहलुओं पर चर्चा की गई.

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