जेटली ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती उद्यमिता होने जा रही है. भारत में कौशल और उद्यमिता दोनों की प्रासंगिकता है.
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार (9 नवंबर) को कहा कि उद्यमिता भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती साबित होने जा रही है, क्योंकि सरकारी क्षेत्र और संगठित क्षेत्र की नौकरियां देश के उच्च कामकाजी आबादी के लिए पर्याप्त नहीं है. जेटली ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती उद्यमिता होने जा रही है. भारत में कौशल और उद्यमिता दोनों की प्रासंगिकता है. सरकार में, केंद्र और राज्य दोनों तथा सरकारी कंपनियों में नौकरी सृजन की सीमित क्षमता है.” उन्होंने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तीसरे स्थापना दिवस के अवसर पर यहां आयोजित राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कार 2017 में यह बातें कही.
उन्होंने कहा, “निजी संगठित क्षेत्र में, नौकरियों के सृजन की ज्यादा क्षमता है. लेकिन दोनों (सरकारी और निजी क्षेत्र) को साथ मिलाकर भी पर्याप्त नौकरियां नहीं होगी.” जेटली ने कहा कि विकसित देशों में आबादी या तो स्थिर है या गिर रही है, जबकि भारत में बड़ी जनसंख्या है, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है.
उन्होंने कहा, “इसलिए हमें अपनी आबादी का प्रयोग आर्थिक फायदों के लिए करना चाहिए. इसलिए (शैक्षणिक) डिग्रियों को रोजगार से जोड़ना होगा. लोगों को कौशल प्रशिक्षण देना होगा.”कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मौके पर कहा कि 2022 तक भारत का कार्यबल 60 करोड़ तक पहुंच जाएगा. देश की जीडीपी को दोहरे अंकों में ले जाने में देश के युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार पहले से ही 4 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा योजना चला रही है, जिससे 3 करोड़ लोगों ने लाभ उठाया है.