दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द किए जाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्योग मंडल फिक्की ने यह बात कही.
किसी की व्यक्तिगत गलती के चलते पूरे के पूरे अस्पताल को ‘अचानक’ से बंद कर देने का फैसला जनहित और देशहित में नहीं है. यह वहां इलाज ले रहे मरीजों के इलाज और स्वास्थ्य को सीधा प्रभावित करता है. दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द किए जाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्योग मंडल फिक्की ने मीडिया और सरकार को नसीहत दी कि उन्हें किसी भी मामले में ‘पूर्वानुमान पर निर्णय’ नहीं लेना चाहिए. इसके अलावा गुडगांव का फोर्टिस अस्पताल भी सात साल की एक बच्ची की डेंगू से जान चली जाने और जरुरत से अधिक पैसा वसूलने के लिए मीडिया के निशाने पर रहा. वहीं मैक्स हॉस्पिटल का लाइसेंस सरकार ने इसलिए रद्द कर दिया क्योंकि उसने एक अविकसित शिशु को गलती से मृत घोषित कर दिया था.
उद्योग मंडल ने कहा, ‘‘भारत में जनता की आबादी के अनुपात में पहले ही अस्पतालों में कम बिस्तर हैं जहां प्रति 1000 लोगों पर मात्र 1.3 बिस्तर उपलब्ध है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश 3.5 बिस्तर की है. इसलिए किसी की व्यक्तिगत गलती के लिए अस्पताल को अचानक से बंद कर देना जनहित और देशहित में नहीं है.’’
संगठन ने कहा कि इस तरह की घटनाएं केवल इस अंतर को बढ़ाएंगी और उन मरीजों के इलाज और स्वास्थ्य को सीधा प्रभावित करेंगी जो इन अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं. फिक्की के अनुसार लापरवाही के मामले में तार्किक और उचित कार्रवाई करना जरुरी है जिसके लिए उपयुक्त जांच करायी जानी चाहिए. इस तरह के फैसले प्राकृतिक न्याय पर आधारित होने चाहिए ना कि भावनात्मक तौर पर.