पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत 2014 में 54 पर था, जो अब 35 पर है. इससे देश में उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए दक्षता और आसानी का पता चलता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां उद्यमियों के तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का मंगलवार (28 नवंबर) को उद्घाटन किया. उन्होंने इस मौके पर वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित करते हुए कहा कि वे भारत में निवेश के अनुकूल माहौल का फायदा उठाएं. जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी और सलाहकार इवांका ने कहा कि कई विकासशील और विकसित देशों में अभी महिलाओं के लिए न्यायसंगत कानूनों के संदर्भ में बहुत कुछ करना बाकी है.मोदी ने यहां 2017 वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन में कहा, “दुनिया भारत के मेरे निवेशक मित्रो, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आइए, भारत में उत्पादन कीजिए, भारत में निवेश कीजिए, भारत के लिए और दुनिया के लिए. मैं आप सब को भारत के विकास की कहानी में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित करता हूं. और एक बार फिर आपको आश्वस्त करता हूं कि हम आपको पूरे दिल से समर्थन देंगे.”
इस सम्मेलन का आयोजन अमेरिका और भारत द्वारा मिलकर किया जा रहा है. इस सम्मेलन में 159 देशों के 1500 उद्यमी, निवेशक और पारिस्थितिकी तंत्र समर्थक भाग ले रहे हैं. मोदी ने भारत के युवा निवेशकों से कहा कि साल 2022 तक नया भारत बनाने के लिए उनके पास योगदान करने के लिए उनमें से प्रत्येक के पास कुछ न कुछ मूल्यवान है. उन्होंने कहा, “आप भारत के बदलाव के वाहक हैं.” उन्होंने कहा, “मेरी सरकार यह समझती है कि पारदर्शी नीतियों का वातावरण, समान अवसर मुहैया कराने की नीति, और कानून का शासन उद्यमिता के फलने-फूलने के लिए बहुत जरूरी है.”
मोदी ने कहा, “कराधान प्रणाली में हाल ही में ऐतिहासिक बदलाव किया गया और देश भर में वस्तु एवं सेवा कर लागू किया गया. 2016 में हमारी शुरू की गई दिवाला और दिवालियापन संहिता तनावग्रस्त उपक्रमों को समय पर समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में एक कदम है. हमने हाल में इसे बेहतर किया है, जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवालों को तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की बोली लगाने से रोकता है.” नोटबंदी के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि समानांतर अर्थव्यवस्था पर काबू पाने, कर चोरी रोकने और काले धन पर काबू पाने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत 2014 में 54 पर था, जो अब 35 पर है. इससे देश में उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए दक्षता और आसानी का पता चलता है. उन्होंने कहा, “निवेश अनुकूल वातावरण को व्यापक-आर्थिक परिपेक्ष्य में स्थिर होना चाहिए. हमने वित्तीय घाटा और चालू खाता घाटे पर काबू पाने के साथ मुद्रास्फीति को भी काबू में रखने पर सफलता प्राप्त की है. हमारा विदेशी पूंजी भंडार 400 अरब डॉलर को पार कर चुका है और हम लगातार विदेशी निवेश को आकर्षित कर रहे हैं.”
प्रधानमंत्री से पहले इवांका ने सम्मेलन में अपनी बात रखी. यहां आठवें सालाना वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन जीईएस को संबोधित करते हुए इवांका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूरि भूरि प्रशंसा की और कहा- प्रधानमंत्री मोदी भारत को एक संपन्न अर्थव्यवस्था, लोकतंत्र का प्रकाश स्तंभ व दुनिया में उम्मीद का प्रतीक बनाने के लिए काम कर रहे है.’ इवांका ने कहा, ‘आप जो हासिल कर रहे हैं वह वास्तव में ही विशिष्ट है.’
इवांका ने कहा, ‘आप जो हासिल कर पा रहे हैं वह वास्तव में अद्भुत है … बचपन में चाय बेचने से लेकर भारत का प्रधानमंत्री चुने जाने तक.’ उन्होंने कहा, ‘आपके अपने प्रयासों, उद्यमिता व कठोर मेहनत से भारत के लोगों ने 13 करोड़ से अधिक नागरिकों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है. यह उल्लेखनीय उपलब्धि है और मैं जानती हूं कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में यह बढ़ना जारी रखेगा.’
उन्होंने कहा, ‘यहां भारत में, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना उनके इस विश्वास के लिए करना चाहूंगी कि मानवता की प्रगति महिला संशक्तिकरण के बिना अधूरी है.’ उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और व्हाइट हाउस में उसका एक सच्चा मित्र है. इवांका ने उल्लेख किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इसी साल के शुरू में कहा था कि व्हाइट हाउस में भारत के लिए एक सच्चा मित्र है.
अपने संबोधन में इवांका ने महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया और कहा कि महिला उद्यमियों की बढ़ती संख्या के बावजूद महिलाओं को खुद का कारोबार शुरू करने, स्वामित्व रखने व उसे आगे बढ़ाने में बड़ी दिक्कतें आती हैं. उन्होंने कहा, ‘महिला की अगुवाई वाले कारोबार को बल देना केवल समाज के लिए ही अच्छा नहीं है बल्कि यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा है. एक अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में अगर उद्यमशीलता में स्त्री पुरुष असमानता को दूर कर दिया जाए तो हमारी वैश्विक जीडीपी दो प्रतिशत तक बढ़ सकती है.’
उन्होंने कहा, “जब न्यायसंगत कानूनों की बात आती है, तो कई विकसित और विकासशील देशों ने जबरदस्त प्रगति की है, फिर भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.” उन्होंने कहा कि कुछ देशों में महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जाता, अकेले सफर करने नहीं दिया जाता, या बिना अपने पतियों के सहमति से काम करने नहीं दिया जाता. वहीं, कुछ अन्य देशों में सांस्कृतिक और पारिवारिक दवाब इतना ज्यादा होता है कि महिलाओं को घर से बाहर जाकर काम करने की आजादी नहीं मिलती. उन्होंने कहा, “हमारा प्रशासन दुनिया भर में महिलाओं के लिए अधिक से अधिक अवसरों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है, इसे हमारे घरेलू सुधारों और अंतर्राष्ट्रीय पहलों के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है.” उन्होंने कहा कि जब कोई महिला काम करती है, तो यह ‘गुणक प्रभाव’ पैदा करता है और परिवार और समाज में और अधिक पुनर्निवेश करता है.
उन्होंने कहा, “जब महिलाएं काम करती हैं, तो इससे विशिष्ट गुणक प्रभाव पैदा होता है. महिलाओं द्वारा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को नौकरी देने की संभावना अधिक होती है, और उन्हें पूंजी, परामर्श और नेटवर्क तक पहुंच प्रदान करती है. महिलाओं द्वारा अपने परिवारों और समुदायों में अपनी आय को फिर से निवेश करने की संभावना अधिक होती है.” उन्होंने कहा, “यह बात मान लें कि यदि भारत श्रम शक्ति में लिंगभेद को आधा भी कम कर देता है तो आपकी अर्थव्यवस्था अगले तीन सालों में 150 अरब डॉलर से अधिक बढ़ेगी.” इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडल में 400 भारत से और 400 अमेरिका से तथा बाकी के सदस्य बाकी दुनिया से हैं.