जेटली ने आगे कहा, ‘अफवाहें फैलाने वालों से जनता को पूछना चाहिये कि किसके कहने पर और किसके दबाव में ये कर्ज वितरित किये गये.’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ किये जाने की अफवाहों को सिरे से खारिज करते हुये मंगलवार (28 नवंबर) को कहा कि बैंकों का कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ सरकार कड़े कदम उठा रही है और नई पूंजी उपलब्ध कराकर अब तक ‘मजबूर’ रहे बैंकों को अब ‘मजबूत’ बैंक बनाने में लगी है. जेटली ने कहा कि सरकार ने बैंकों से कर्ज लेकर उसे नहीं लौटाने किसी भी बड़े डिफाल्टर का कोई कर्ज माफ नहीं किया है. उन्होंने इस पर खेद जताया कि पिछले कुछ दिनों से ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही है कि ‘‘बैंकों ने बड़े पूंजीपतियों के कर्ज माफ किये हैं.’’
इस तरह की अफवाहों को सिरे से खारिज करते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि देश के समक्ष इसकी जानकारी हो. ‘‘यह पूछा जाना चाहिये कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2008 से 2014 के बीच किसके कहने पर वे कर्ज दिये जो आज एनपीए बन गये हैं.’’ जेटली ने आगे कहा, ‘‘अफवाहें फैलाने वालों से जनता को पूछना चाहिये कि किसके कहने पर और किसके दबाव में ये कर्ज वितरित किये गये. उनसे यह भी पूछा जाना चाहिये कि जब इन कर्ज लेनदारों ने बैंको को कर्ज और ब्याज का भुगतान करने में देरी की तो तत्कालीन सरकार ने क्या फैसला किया और क्या कदम उठाये.’’
उन्होंने कहा कि समय पर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के बजाय उस समय की सरकार ने कर्ज वर्गीकरण के नियमों में ही राहत दे दी ताकि उनके रिण खातों को एनपीए खातों में जाने से बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने जब संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा की तो 4.54 लाख करोड़ रुपये के कर्ज जिन्हें वास्तव में एनपीए होना चाहिये था उन्हें एनपीए होने से छिपाये रखा गया और बाद में इनकी पहचान हुई.
वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा, ‘‘सरकार ने बैंकों का कर्ज नहीं लौटाने वाले किसी भी बड़े कर्जदार का ऋण माफ नहीं किया है ….. .’’ उन्होंने आंकड़ों के साथ आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकार :कांग्रेस नीत संप्रग सरकार: के कार्यकाल में बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को छिपाया गया. एनपीए की सही पहचान से यह स्पष्ट हुआ है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए मार्च 2015 के 2,78,000 करोड़ रुपये से बढ़कर जून 2017 में 7,33,000 करोड़ रुपया हो गया. वित्त मंत्री ने कहा की उनकी सरकार ने नये दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत पुराने 12 फंसे कर्ज के मामलों में कारवाई शुरू की गई है और इनकी समयबद्ध निपटान के लिये राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के पास भेजा गया है. इन 12 खातों में कुल मिलाकर 1.75 लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी है. यह कारवाई इस समय विभिन्न चरणों में है.
उन्होंने कहा कि अनैतिक और अवांछित व्यक्तियों की ओर से कानूनी प्रक्रिया के दुरूपयोग को रोकने के लिये इस सप्ताह अध्यादेश के माध्यम से जानबूझ कर रिण नहीं लौटाने वाले और एनपीए खातों से जुड़े लोगों के एनसीएलटी प्रक्रिया के तहत उसे पुन: हासिल करने से रोकने का प्रावधान किया गया है. जेटली ने कहा कि सरकार ने साफ सुथरा और प्रभावी तंत्र स्थापित करने का काम किया है और जानबूझ कर रिण नहीं लौटाने वालों एवं चूककर्ताओं से समयबद्ध तरीके से वसूली की पहल की है.
पूंजीपतियों को ऋण माफी के आरोपों पर जेटली ने यह कहते हुए सवाल किया कि 2010..11 से 2013..14 के दौरान भी तब की सरकारों ने बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिये 44 हजार करोड़ रूपया दिया था. क्या वह भी पूंजीपतियों को रिण माफी था ? वित्त मंत्री ने कहा कि फंसे कर्ज की वसूली के उपाय करने के साथ ही सरकार ने बैंकों को मजबूत बनाने और राष्ट्रीय विकास में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिये जरूरत पूंजी भी उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने कहा कि इन बैंकों को पूंजी देने की वजह मजबूर बैंकों को मजबूत बनाना है. उन्होंने कहा कि बैंकों से कर्ज का उठाव बढ़े और रोजगार के अवसर बढ़े इसके लिये सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण का बड़ा फैसला लिया. इसके तहत इन बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराई जायेगी.