पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर अनीश सांघवी ने कहा-नोटबंदी, जीएसटी जैसे नियामकीय सुधारों व जमीन जायदाद विकास से जुड़े नियमों में बढोतरी का लगातार असर आवासीय क्षेत्र पर पड़ है.
एक रपट के अनुसार माल व सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन तथा नोटबंदी से न केवल जमीन जायदाद काोबार में नकदी की समस्या पैदा हुई बल्कि इसका असर शहरों के निवेश व विकास परिदृश्य पर भी पड़ा और उनकी रीयल इस्टेट रैंकिंग में गिरावट आई. यह सर्वेक्षण अर्बन लैंड इंस्टीट्यूट व पीडब्ल्यूसी ने संयुक्त रूप से किया है. इसेक अनुसार नोटबंदी व जीएसटी के शुरुआती असर देश के शहरों के निवेश व विकास परिदृश्य पर पड़ा है जो कि पिछले साल की प्रमुख स्थिति से बाहर हो गए.
यह रपट निवशकों सहित 600 से अधिक रीयल्टी पेशेवरों की राय पर आधारित है. पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर अनीश सांघवी ने कहा-नोटबंदी, जीएसटी जैसे नियामकीय सुधारों व जमीन जायदाद विकास से जुड़े नियमों में बढोतरी का लगातार असर आवासीय क्षेत्र पर पड़ है. वर्ष 2018 के लिए तरजीही निवेश गंतव्यों की सूची में मुंबई को 12वें स्थान पर रखा गया है जो कि पिछले साल दूसरे पायदान पर था.
सुस्त औद्योगिक विकास तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के साथ तालमेल बिठाने के कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उद्योग जगत का मुनाफा 1.5 प्रतिशत गिरकर 1030 अरब रुपये पर आ गया. पिछले साल की इसी तिमाही में यह 13.2 प्रतिशत बढ़ा था. केयर रेटिंग्स की बीते 6 नवंबर की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया. रिपोर्ट में 1241 कंपनियों के परिणामों का आकलन किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘सितंबर में समाप्त तिमाही में कंपनियों का शुद्ध मुनाफा पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 1050.21 अरब रुपये की तुलना में 1.5 प्रतिशत गिरकर 1034.38 अरब रुपये पर आ गया है.’’ उसने आगे कहा कि कुल बिक्री में बड़ी कंपनियां छायी रहीं. इसमें उनकी 71 प्रतिशत हिस्सेदारी रही.
उसने कहा, ‘‘बड़ी कंपनियों का शुद्ध मुनाफा इस साल सितंबर में समाप्त तिमाही में 7.4 प्रतिशत गिरा. पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 10.9 प्रतिशत बढ़ा था.’’ इस दौरान कुल बिक्री की वृद्धि में भी गिरावट रही और यह सात प्रतिशत पर आ गयी. पिछले साल की इस तिमाही में यह 10 प्रतिशत रही थी.