जीएसटी परिषद ने 28 प्रतिशत के सर्वाधिक कर दर वाले स्लैब में वस्तुओं की संख्या को घटाकर सिर्फ 50 कर दिया है जो कि पहले 228 थी. अब 28 प्रतिशत के कर स्लैब में सिर्फ लग्जरी और अहितकर वस्तुएं ही रह गई हैं.
फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने शुक्रवार (10 नवंबर) को जीएसटी परिषद द्वारा रेस्तरांओं पर कर की दर को बिना इनपुट क्रेडिट के घटाकर पांच प्रतिशत पर लाने के फैसले का स्वागत किया है. एसोसिएशन का कहना है कि इससे देशभर के रेस्तराओं को दरों को तर्कसंगत करने में मदद मिलेगी. शीर्ष उद्योग संगठन ने कहा कि हमने रेस्तरांओं पर इनपुट क्रेडिट के साथ 12 प्रतिशत तथा बिना इनपुट क्रेडिट के पांच प्रतिशत पर लाने की मांग की थी. एफएचआरएआई के अध्यक्ष गरीश ओबराय ने कहा कि हम जीएसटी व्यवस्था में इन बदलावों के लिए सरकार का आभार जताते हैं.
इससे पहले माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के निर्धारण में अब तक का सबसे बड़े बदलाव करते हुए इसके जीएसटी परिषद ने चुइंग गम से लेकर चॉकलेट, सौंदर्य प्रसाधनों, विग से लेकर हाथ घड़ी तक करीब 200 उत्पादों पर कर की दरें घटा दी हैं. उम्मीद है कि इससे उपभोक्ताओं को राहत देने के साथ साथ उद्योग एवं व्यापार जगत को सुस्ती के दौर में सहूलियत होगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद कहा कि आम इस्तेमाल वाली 178 वस्तुओं पर कर दर को मौजूदा के 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया है.
परिषद ने एसी से लेकर नॉन एसी तक सभी प्रकार के रेस्तरांओं पर कर की दर पांच प्रतिशत करने का फैसला किया गया है. अभी तक गैर एसी रेस्तरां में खाने के बिल पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता था. वहीं एसी रेस्तरां पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत थी. इन सभी को इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) की सुविधा मिलती थी. इसमें अंतिम कर के भुगतान पर इनपुट कर भुगतान को घटा दिया जाता है. लेकिन अब रेस्त्रां चालाने वालों को इस्तेमाल होने वाली सामग्री पर चुकाए गए कर का फायदा नहीं मिलेगा.
जीएसटी परिषद ने 28 प्रतिशत के सर्वाधिक कर दर वाले स्लैब में वस्तुओं की संख्या को घटाकर सिर्फ 50 कर दिया है जो कि पहले 228 थी. अब 28 प्रतिशत के कर स्लैब में सिर्फ लग्जरी और अहितकर वस्तुएं ही रह गई हैं. रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं को 18 प्रतिशत के कर स्लैब में डाल दिया गया है.