महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार व्यय एवं राजस्व के बीच अंतर को बताने वाला राजकोषीय घाटा निरपेक्ष रूप से 2017-18 की अप्रैल-सितंबर छमाही में 4.99 लाख करोड़ रुपये रहा.
देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के अंत में बजट अनुमान का 91.3 प्रतिशत तक पहुंच गया. इसका मुख्य कारण व्यय बढ़ना रहा है. महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार व्यय एवं राजस्व के बीच अंतर को बताने वाला राजकोषीय घाटा निरपेक्ष रूप से 2017-18 की अप्रैल-सितंबर छमाही में 4.99 लाख करोड़ रुपये रहा. इससे पूर्व वित्त वर्ष 2016-17 की इसी अवधि में घाटा पूरे साल के अनुमानित लक्ष्य का 83.9 प्रतिशत था. वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार ने राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रहने का बजट अनुमान रखा है. पिछले वित्त वर्ष में यह लक्ष्य 3.5 प्रतिशत था. आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में सरकार की राजस्व प्राप्ति 6.23 लाख करोड़ रुपये रही जो कि पूरे वित्त वर्ष के बजट अनुमान 15.15 लाख करोड़ रुपये का 41.1 प्रतिशत है. इस प्राप्ति में कर और अन्य मद से प्राप्त राजस्व शामिल हैं. यह एक साल पहले इसी अवधि में 41.2 प्रतिशत था.
महालेखा नियंत्रक के आंकड़े के अनुसार सरकार का कुल व्यय तिमाही आधार पर बढ़ा है और सितंबर अंत में 11.49 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यह बजटीय अनुमान का 53.5 प्रतिशत है. एक साल पहले यह राशि बजटीय अनुमान का 52 प्रतिशत थी.
वित्त वर्ष 2017-18 में अप्रैल-सितंबर के दौरान पूंजी व्यय बजटीय अनुमान का केवल 47.3 प्रतिशत रहा जो पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में 54.7 प्रतिशत था. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान ब्याज भुगतान समेत राजस्व व्यय बजट अनुमान का 54.6 प्रतिशत रहा. यह पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 51.6 प्रतिशत था.