आईआरसीटीसी के जरिए टिकट खरीदने पर सर्विस चार्ज खत्म किए जाने के कारण रेलवे को सालाना 400 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है.\
नवंबर 2016 में की हुई नोटबंदी के बाद से ही सरकार लगातार डिजीटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दे रही है. विभिन्न विज्ञापनों और स्कीम के जरिए सरकार कैशलेश ट्रांजेक्शन को प्रोत्साहित कर रही है. सरकार के इस कदम में रेल विभाग भी पूरा सहयोग कर रहा है. नोटबंदी के बाद से रेल टिकट के लिए कैशलेश भुगतान में बढोतरी हुई है. पिछले दिनों खबर आई थी कि रेलवे ने बैंकों से अनुरोध किया है कि रेल टिकट के लिए डिजीटल पेमेंट चार्ज में कटौती करें. ऐसा करने पर रेल टिकट के दामों में कमी आएगी.
एक अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार भारतीय रेलवे इस योजना पर काम कर रहा है कि जो ग्राहक टिकट लेने के लिए कैशलेश मोड से पेमेंट करेंगे, उन्हें इंसेंटिव दिया जाएगा. अभी भी रेलवे डेबिट या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ‘मंथली ट्रैवल पास’ बनवाने वालों को 0.5 फीसदी का डिस्काउंट दे रहा है. अनारक्षित श्रेणी में इस तरह की सुविधा ग्राहकों को दी जा रही है. अब इसी तरह का इंसेंटिव कैशलेस भुगतान करने वाले को फ्री पैसेंजर इंश्योरेंस के रूप में दिया जा सकता है.
आपको बता दें कि फिलहाल आरक्षित टिकट पर रेलवे इंश्योरेंस शुल्क के रूप में नियत चार्ज वसूल करता है. आने वाले समय में यदि यह नियम लागू हुआ तो कैशलेस भुगतान करने वाले ग्राहकों को इंश्योरेंस के लिए पैसे नहीं देने होंगे. इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार रेल बोर्ड के मेंबर (ट्रैफिक) मोहम्मद जमशेद ने बताया कि रेलवे की तरफ से कम से कम कैश का इस्तेमाल करने की योजना पर काम किया जा रहा है. ऐसे में यात्रियों के लिए कुछ इंसेंटिव दिया जा रहा है.
आईआरसीटीसी के जरिए टिकट खरीदने पर सर्विस चार्ज खत्म किए जाने के कारण रेलवे को सालाना 400 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. उन्होंने बताया कि अभी सालाना 60 फीसदी ट्रांजेक्शन कैशलेश होते हैं. नोटबंदी के बाद इसमें 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है. नवंबर 2016 से पहले अधिकतर डिजीटल ट्रांजेक्शन आईआरसीटीसी की वेबसाइट के माध्यम से ही होते थे.
लेकिन नोटबंदी के बाद रेलवे ने टिकट काउंटर पर प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीन मुहैया करा दी है. इससे डिजिटल वॉलेट से पेमेंट ले पाना संभव हो रहा है. रेलवे अपने सभी टिकट काउंटर पर POS मशीन मुहैया करा रहा है. रेलवे का टारगेट है कि टोटल पेमेंट का 85 से 90 फीसदी हिस्सा कैशलेश भुगतान हो. रेलवे को यात्रियों से हर साल करीब 48,000 करोड़ का रेवेन्यू मिलता है.
मोहम्मद जमशेद ने यह भी बताया कि पहले हमारा ज्यादातर कैशलेश ट्रांजेक्शन आईआरसीटीसी के माध्यम से आता था. अब हमने बिना रिजर्वेशन वाले टिकट काउंटर पर भी कार्ड और भीम एप से भुगतान स्वीकार करना शुरू कर दिया है. इससे सरकार की कैशलेश मुहिम को बढ़ावा मिलेगा. दूसरी तरफ रेलवे को इससे यह फायदा हो रहा है कि हम कैश हैंडल करने की लागत कम कर रहे हैं.
वहीं रेलवे ने बैंकों से भी अनुरोध किया है कि वे रेल टिकट के लिए डिजिटल पेमेंट पर चार्ज में कटौती करें. इससे टिकट सस्ता होगा और कैशलेश ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिलेगा. रेलवे का कहना है कि आने वाले समय में इसका फायदा बैंकों को भी मिलेगा.