रिजर्व बैंक ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) 7.2 अरब डॉलर दर्ज किया गया है, जोकि पहली तिमाही के 15 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.5 फीसदी से काफी कम है.’
वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) बढ़कर 7.2 अरब डॉलर हो गया है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 फीसदी है. पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समीक्षाधीन तिमाही में चालू खाता घाटा 3.4 अरब डॉलर था. भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बुधवार (13 दिसंबर) को जारी भुगतान संतुलन (बीओपी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. क्रमिक आधार पर हालांकि दूसरी तिमाही में चालू खाता घाटा पूर्व तिमाही के मुकाबले काफी कम है, क्योंकि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह घाटा करीब 15 अरब डॉलर था.
रिजर्व बैंक ने कहा, “वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) 7.2 अरब डॉलर दर्ज किया गया है, जोकि पहली तिमाही के 15 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.5 फीसदी से काफी कम है. हालांकि पिछले साल 2016-17 की दूसरी तिमाही में चालू खाता घाटा महज 3.4 अरब डॉलर, जीडीपी का 0.6 फीसदी, के मुकाबले ज्यादा है.”
पिछले साल के मुकाबले सीएडी में बढ़ोतरी मुख्य रूप से व्यापार घाटे के कारण हुई है. आयात के मुकाबले निर्यात कम होने से व्यापार घाटा बढ़कर 32.8 अबर डॉलर हो गया है. रिजर्व बैंक के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सेवा प्राप्तियों (आय) में 13.1 फीसदी सालाना दर से इजाफा हुआ है, जोकि सॉफ्टवेयर सेवाओं और यात्रा प्राप्तियों में बढ़ोतरी के कारण दर्ज किया गया है.
निजी हस्तांतरण प्राप्तियों में पिछले साल के मुकाबले 14.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिसमें विदेशों में कार्यरत भारतीय नागरिकों की ओर से प्रेषित धन का बड़ा हिस्सा है, जोकि 17.4 अरब डॉलर है. वित्तीय खाते में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दूसरी तिमाही में 12.4 अरब डॉलर दर्ज किया, जोकि पिछले साल की समीक्षाधीन तिमाही के मुकाबले थोड़ा कम है.
चालू वित्त वर्ष की समीक्षाधीन तिमाही में पोर्टफोलियो निवेश की आमद भारी कमी के साथ महज 2.1 अरब डॉलर दर्ज की गई, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 6.1 अरब डॉलर था. दरअसल, शेयर बाजार की शुद्ध बिकवाली के कारण यह कमी दर्ज की गई.
केंद्रीय बैंक के मुताबिक, गैर-निवासी जमा खाते की शुद्ध प्राप्तियां 0.7 अरब डॉलर दर्ज की गईं, जोकि पिछले साल के 2.1 अरब डॉलर से कम रहीं. भारत का विदेशी पूंजी भंडार पिछले साल की समान अवधि के 8.5 अरब डॉलर के मुकाबले बढ़कर 9.5 अबर डॉलर हो गया, जबकि इसी साल की पहली तिमाही में यह 11.4 अरब डॉलर था.