ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने वाले देशों की सूची में भारत के दर्जे में इस साल सुधार हुआ है.
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने वाले देशों की सूची में भारत के दर्जे में इस साल सुधार हुआ है. पर्यावरण संगठन, जर्मनवाच की ओर से तैयार किए गए जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) 2018 में शामिल 56 देशों व यूरोपीय संघ की सूची में भारत इस साल 14 वें पायदान पर है, जबकि पिछले साल इस सूची में उसका स्थान 20वां था. यह उपलब्धि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में हरित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से मिली है. इस मामले में भारत चीन और अमेरिका से काफी आगे है.
इस सूची में चीन का स्थान अभी भी 41वां है. पिछले पांच साल से ज्यादा समय से चीन में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन काफी ज्यादा हुआ है और ऊर्जा की खपत में भी इजाफा हुआ है.
बॉन में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन वार्ता के अवसर पर यह रिपोर्ट बुधवार सार्वजनिक की गई. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 56 देश व यूरापीय संघ 90 फीसदी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत की तरफ झुकाव में तेजी आई है, लेकिन कोई भी देश इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा नहीं कर रहा है.
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जर्मनी के न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और सीसीपीआई के सह-लेखक निक्लास होन ने कहा, “जिन देशों का मूल्यांकन किया गया है उनकी मध्य व दीर्घकालीन आकांक्षाओं में बहुत बड़ा फासला है. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मामले में हम भारत या नार्वे में 2030 के लक्ष्य को ज्यादा बेहतर पाते हैं.”
उनका कहना था कि किसी भी देश के पास खासतौर से बेहतर ऊर्जा सक्षमता लक्ष्य नहीं है. सऊदी अरब और अमेरिका 2030 तक अपनी ऊर्जा आकांक्षाओं को बढ़ाएंगे ही.
जर्मनवाच में सीसीपीआई के सह-लेखक जेन बुर्क ने कहा, “जलवायु को लेकर अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में पेरिस समझौते में तय किए गए वैश्विक जलवायु लक्ष्य के प्रति हम जबरदस्त प्रतिबद्धता देखते हैं. अब इस प्रतिबद्धता पर क्षेत्रवार अमल की जरूरत है.”
अमेरिका की ओर से 2015 के पेरिस समझौते से बाहर निकलने और अपनी ही पूर्ववर्ती सरकारों के प्रमुख जलवायु विधायनों को समाप्त करने के बाद अमेरिका सीसीपीआई की सूची में नीचे से पांच देशों में शामिल है और इसका दर्जा 56वां है. सूची में निचले स्तर पर कोरिया 58वें, ईरान 59वें और सउदी अरब 60वें स्थान पर हैं. बॉन में जलवायु परिवर्तन वार्ता छह नवंबर से जारी है और यह 17 नवंबर तक चलेगी.