फिलहाल कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन तथा प्राकृतिक गैस एक जुलाई से लागू जीएसटी के दायरे में नहीं है.
उद्योग ने प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है ताकि उत्पादकों को लागत में कमी लाने तथा गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने में मदद मिले. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के करीब चार महीने के बाद यह मांग की गयी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिखे पत्र में उद्योग मंडल फिक्की ने कहा कि प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने से उत्पादकों को मुश्किल हो रही है और प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि इससे उनकी लागत बढ़ रही है.
फिलहाल कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन तथा प्राकृतिक गैस एक जुलाई से लागू जीएसटी के दायरे में नहीं है. इससे तेल एवं गैस उद्योग कई ऐसी वस्तुएं और सेवाओं की खरीद कर रहा है जो जीएसटी के दायरे में है वहीं दूसरी तरफ तेल, गैस तथा पेट्रोलियम उत्पादों पर पूर्व की तरह उत्पाद शुल्क तथा वैट लग रहा है.
दूसरे उद्योग जो कर भुगतान का ‘क्रेडिट’ ले सकते हैं वहीं तेल एवं गस उद्योग कच्चे माल पर दिये गये जीएसटी का ‘क्रेडिट’ नहीं ले सकते. इससे उन पर अतिरिक्त कर बोझ पड़ रहा है. फिक्की ने कहा, ‘‘यह जीएसटी के मूल उद्देश्य के विपरीत है…..’’
वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी है. इस प्राधिकरण के गठन के पीछे मकसद नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में घटी दरों का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि अब सिर्फ 50 ऐसी वस्तुएं जीएसटी की 28 प्रतिशत के ऊंचे कर स्लैब में रह गई हैं. वहीं कई वस्तुओं पर कर की दर को घटाकर पांच प्रतिशत किया गया है.
प्रसाद ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय मुनाफारोधी प्राधिकरण देश के उपभोक्ताओं के लिए एक विश्वास है. यदि किसी ग्राहक को लगता है कि उसे घटी कर दर का लाभ नहीं मिल रहा है तो वह प्राधिकरण में इसकी शिकायत कर सकता है.’’ मंत्री ने कहा कि यह सरकार की इस बारे में पूर्ण प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह जीएसटी के क्रियान्वयन का पूरा लाभ आम आदमी तक पहुंचाना चाहती है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने पिछले सप्ताह 200 से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी दर कम की है. इसमें 178 वस्तुओं पर तो जीएसटी दर को 28 प्रतिशत की श्रेणी से 18 प्रतिशत की श्रेणी में ला दिया गया है. एसी और नॉन एसी रेस्तरां पर कर की दर को कम कर पांच प्रतिशत कर दिया गया.