अरुण जेटली ने बजट में नौकरीपेशा और पेंशनभोगियों को 40,000 रुपये की मानक कटौती देने की घोषणा की है. हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक इससे लोगों को मामूली राहत ही मिलेगी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2018-19 के आम बजट में इनकम टैक्स की दरों और स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया. नौकरीपेशा लोग पूरी उम्मीद लगाए हुए थे कि सरकार इस बार उन्हें आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर राहत जरूर देगी, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. अलबत्ता जेटली ने कई ऐसे बदलावों की घोषणा की है, जिसका आपके द्वारा चुकाए जाने वाले इनकम टैक्स पर असर पड़ेगा. निजी टैक्सपेयर्स को अब ट्रांसपोर्ट और मेडिकल रिबंर्समेंट की सुविधा नहीं मिलेगी. इसके बदले 40,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडेक्शन का लाभ दिया जाएगा. इनकम टैक्स को लेकर बजट में की गई अहम घोषणाएं इस प्रकार हैं-
बजट भाषण में जेटली ने शेयरों में निवेश से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 10 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की. यह कर 1 लाख रुपये से अधिक के लाभ पर होगा. जेटली ने कहा कि 31 जनवरी, 2018 की तिथि तक शेयरों में निवेश से होने वाले पूंजीगत लाभ को इस नई कर व्यवस्था से छूट होगी लेकिन उसके बाद के पूंजीगत लाभ पर नए प्रावधान के तहत टैक्स लगेगा. जेटली ने कहा कि शेयर बाजारों से रिटर्न काफी आकर्षक है और अब समय आ गया है कि उसे कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में लाया जाए. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने इक्विटी केंद्रित म्युचुअल फंडों की कमाई पर भी 10 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाने का भी प्रस्ताव किया है.
अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट में नौकरीपेशा और पेंशनभोगियों को 40,000 रुपये की मानक कटौती देने की घोषणा की है. हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक इससे लोगों को मामूली राहत ही मिलेगी. मानक कटौती की यह व्यवस्था निर्धारण वर्ष 2006-07 से बंद कर दी गई थी. विशेषज्ञों के अनुसार इस छूट से वास्तव में नौकरी पेशा लोगों की टैक्सेबल आमदनी में 5,800 रुपये का ही लाभ मिलने का अनुमान है. उन्हें 19,200 रुपये सालाना का टैक्स मुक्त ट्रांसपोर्ट अलाउंस और 15 हजार रुपये का मेडिकल रिबर्समेंट दिया जाता है. यह राशि 34,200 रुपये बैठती है, इसके स्थान पर अब उन्हें 40,000 रुपये की मानक कटौती उपलब्ध होगी.
वित्त मंत्री ने इसके साथ ही तीन प्रतिशत एजुकेशन सेस के स्थान पर चार प्रतिशत हेल्थ और एजुकेशन सेस लगाने की घोषणा की है. इसका मतलब है कि आयकर दाताओं पर टैक्स का बोझ बढ़ जाएगा.
वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है. 2.5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री रखा गया है. 5 लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत, 5 से 10 लाख रुपये की सालाना आय पर 20 प्रतिशत तथा 10 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से पहले की तरह टैक्स लगेगा. सीनियर सिटिजन के लिए 3 लाख रुपये और 80 साल से अधिक आयु के बुजुर्गों के मामले में 5 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है. इसके अलावा पिछले साल के बजट में लगाए गए 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये की आय पर 10 प्रतिशत तथा 1 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर 15 प्रतिशत का सरचार्ज भी ज्यों-का-त्यों रखा गया है.
सरकार ने सीनियर सिटिजन को कई राहत देने की घोषणा करते हुए जमा योजनाओं से प्राप्त आय पर टैक्स छूट की सीमा पांच गुना बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बैंकों तथा डाकघरों में जमा राशि पर ब्याज आय में छूट की सीमा 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है. यह लाभ सावधि जमा योजनाओं तथा आवर्ती जमा योजनाओं से मिलने वाले ब्याज पर भी उपलब्ध होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि धारा 80डी के अंतर्गत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम या मेडिकल खर्च के लिए कटौती सीमा को 30 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है.
धारा 80डीडीबी के तहत वरिष्ठ नागरिकों और अति वरिष्ठ नागरिकों को गंभीर बीमारी के मामले में चिकित्सा खर्च के लिए कटौती सीमा बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने की भी घोषणा की. बुजुर्गों के लिए प्रधानमंत्री वय वंदन योजना के अंतर्गत निवेश की वर्तमान सीमा को 7.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है. यह योजना मार्च, 2020 तक जारी रहेगी.