चीन की रेटिंग A1 है, जो भारत से अच्छी है. जबकि पाकिस्तान भारत से बहुत नीचे है, उसकी रेटिंग B-3 है.
DNA में अब हम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आई एक अच्छी ख़बर का विश्लेषण करेंगे. और ख़बर ये है कि अमेरिकी रेटिंग एजेंसी Moody’s ने भारत की रेटिंग बढ़ा दी है. ये ख़बर आज आप दिन भर से सुन रहे होंगे, आपने इस ख़बर पर राजनीतिक बयानबाज़ी भी खूब सुनी होगी. लेकिन क्या आपको ये समझ में आया कि भारत की रेटिंग बढ़ने का मतलब क्या है? इस रेटिंग के बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या फायदा होगा? और सबसे बड़ा सवाल ये है कि 13 वर्षों के बाद भारतीय अर्थव्यस्था के लिए रेटिंग क्यों बढ़ाई गई? ये तमाम सवाल आज विश्लेषण की मांग करते हैं.
इस ख़बर का राजनीतिक पहलू ये है कि पिछले कुछ समय से विपक्ष के नेता अर्थव्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं. लेकिन अब GST और नोटबंदी जैसे आर्थिक सुधारों की वजह से ही International Agencies भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ कर रही हैं.
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने तो गुजरात की एक चुनावी रैली में Goods And Services Tax यानी GST को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बता दिया था. लेकिन हमें लगता है कि American Rating Agency Moody’s ने देश की अर्थव्यवस्था पर गुमराह करने वाले गब्बर सिंह गैंग के हाथ काट दिए हैं. राजनीति में इस तरह की जुमलेबाज़ी तभी होती है, जब बयान देने से पहले नेता अच्छे से Home-Work नहीं करते हैं. इसीलिए राहुल गांधी जैसे नेता भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधारों में भी गब्बर सिंह जैसे किसी Villain की Entry कर देते हैं. यहां सवाल ये है कि राहुल गांधी भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर वो चीज़ें क्यों नहीं पढ़ पाए, जो Moody’s ने पढ़ीं.
हमें लगता है कि आज Moody’s ने बहुत से नेताओं का Mood खराब कर दिया है. इसीलिए आज हम Moody’s की रेटिंग के बाद देश की अर्थव्यवस्था के बदले हुए Mood का विश्लेषण करेंगे. Moody’s एक Global Rating Agency है. और उसने भारत की Rating 13 वर्षों के बाद सुधारी है. Moody’s ने भारत की Sovereign Credit Rating को एक पायदान बढ़ा दिया है. भारत की ये रेटिंग पहले Baa3 थी, जो अब बढ़ाकर Baa2 हो गई है.
अब ये समझिए कि ये Sovereign Credit Rating क्या होती है? ये रेटिंग निवेशकों को किसी भी देश में निवेश करने से जुड़े हुए खतरों के बारे में बताती है. किसी देश के कहने पर Credit Rating Agency उस देश के आर्थिक और राजनीतिक हालातों का मूल्यांकन करती है. और उसके बाद उस देश की Rating तय करती है.
विकासशील देशों के लिए अच्छी रेटिंग लाना ज़रूरी माना जाता है. इससे देश को International Markets से Funding मिलती है. और देश में विदेशी निवेश बढ़ता है. Moody’s ने पिछली बार 13 साल पहले… 2004 में भारत की रेटिंग बढ़ाई थी, उस वक्त भी बीजेपी की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. Moody’s ने 2004 में भारत की रेटिंग Baa3 की थी.
अब आपको ये समझाते हैं कि Moody’s क्या है और इसमें रेटिंग कैसे दी जाती है? रेटिंग देने के इस सिस्टम की शुरुआत वर्ष 1909 में American financial analyst जॉन मूडी ने की थी. इसका मकसद निवेशकों को एक ग्रेड देना है, ताकि मार्केट में उनकी साख बन सके. एजेंसी ने Grading के लिए 9 Symbols तय किए. Aaa, Aa, A, Baa, Ba, B, Caa, Ca और C. Aa से लेकर Caa तक की 1, 2, 3 सब-कैटेगरी भी होती हैं.
यानी जिस देश की रेटिंग Aaa है, वहां निवेश का सबसे अच्छा माहौल और जिस देश की रेटिंग C है, वहां सबसे खराब माहौल. अभी AAA Rating में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, Canada, Netherlands, Norway, Singapore, Switzerland और Sweden जैसे देश हैं. चीन की रेटिंग A1 है, जो भारत से अच्छी है. जबकि पाकिस्तान भारत से बहुत नीचे है, उसकी रेटिंग B-3 है.
अब आपको ये बताते हैं कि वो कौन कौन से आर्थिक सुधार हैं, जिनकी वजह से भारत की ये रेटिंग सुधरी है. इसमें सबसे पहला सुधार है नोटबंदी. नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था Digital होने की तरफ बढ़ी है. और सरकार के मुताबिक इस कदम की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है.
इसके अलावा आधार कार्ड को जरूरी पहचान पत्र बनाने और आधार से PAN Accounts को सीधे लिंक किये जाने का फायदा भी मिला है. देश में एक टैक्स प्रणाली GST लागू होने से भी अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ है. Moody’s ने अपनी रिपोर्ट में ये भी भविष्यवाणी की है कि भारत की GDP growth 2018 के अंत तक 7.5% की दर से होगी.
कुल मिलाकर पिछले 20 दिनों के भीतर भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़ी हुई अच्छी ख़बरें आ रही हैं. सबसे पहले World Bank की Ease of Doing Business की रिपोर्ट में भारत की रैंक में 30 Points का सुधार हुआ . 189 देशों की लिस्ट में भारत 100वें नंबर पर है. उसके बाद , Pew Research Center के एक सर्वे में 83% लोगों ने मौजूदा अर्थव्यवस्था को अच्छा बताया. और अब Moody’s ने भी भारत की रेटिंग सुधार दी है.
लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस को देश की अर्थव्यवस्था के लिए ये अच्छे दिन अच्छे नहीं लग रहे हैं. कांग्रेस को ये बात बहुत चुभ रही है कि देश की अर्थव्यवस्था की रेटिंग कैसे सुधर रही है . ये बात भी सही है कि Moody’s ने कांग्रेस के 10 वर्षों के शासनकाल में ये रेटिंग कभी नहीं सुधारी. ये हम आपको बता ही चुके हैं कि 2004 के बाद अब ये रेटिंग सुधरी है और तब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी.
Moody’s ने किन वजहों से भारत की रेटिंग में सुधार किया है, ये हम आपको बता चुके हैं. लेकिन असल में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. और Moody’s या उसके जैसी कोई एजेंसी अब तेज़ गति से बढ़ती हुई इस अर्थव्यवस्था को नज़र अंदाज़ नहीं कर सकती है.
International Monetary Fund यानी IMF ने ये उम्मीद जताई है कि 2018 में भारत का GDP… BRICS और ASEAN में शामिल सभी देशों के मुकाबले तेज़ी से बढ़ेगा. Moody’s ने भी उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2018 के खत्म होने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था 7.5% की दर से बढ़ेगी.
IMF ने ये भी उम्मीद जताई है कि 2022 तक भारतीय अर्थव्यवस्था जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी. अभी भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारत के House-hold की कुल संपत्ति 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है. जो 2022 तक 7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से ज्यादा हो जाएगी.
लेकिन इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद Moody’s को रेटिंग सुधारने का ख्याल बहुत देर में आया . क्या Moody’s जैसी एजेंसियां भारत के साथ पक्षपात या भेदभाव करती हैं. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं. इसे समझाने के लिए मेरे पास कुछ आंकड़े हैं.
Moody’s ने आज अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि भारत का कर्ज़ चिंता का विषय है. क्योंकि 2016 में भारत का कर्ज़ GDP की तुलना में 66% था. जबकि Moody’s के हिसाब से इसे 44% से ज्यादा नहीं होना चाहिए. अगर किसी देश की रैंकिंग सुधारने का Moody’s का यही फॉर्मूला है तो फिर भारत से ज्यादा कर्ज़ तो अमेरिका और United Kingdom का है. United Kingdom का कर्ज़ उसके GDP का 89.5% जबकि अमेरिका का 108 % है.
इस रैंकिंग का एक अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा भंडार भी है. और भारत का Forex Reserve अमेरिका से बहुत ज्यादा है. भारत के पास इस वक्त 39 हज़ार 873 करोड़ अमेरिकी डॉलर्स का विदेशी मुद्रा भंडार है. जबकि अमेरिका के पास इस वक्त सिर्फ 12 हज़ार 337 करोड़ अमेरिकी डॉलर्स का ही विदेशी मुद्रा भंडार है. इसका मतलब ये है कि भारत का Foreign exchange reserve अमेरिका से तीन गुना ज्यादा है.
भारत की GDP growth rate भी अमेरिका से बहुत आगे है. 2016-17 में भारत की अर्थव्यवस्था 7.1% की दर से बढ़ी थी. जबकि अमेरिका का GDP growth rate सिर्फ 1.6% था. हालांकि अमेरिका के GDP का Size भारत से भी दोगुना है. लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद Moody’s भारत को लगातार नज़रअंदाज़ करता रहा.