इसके साथ ही यूआईडीएआई ने विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों को ऐसे लोगों की स्थिति की पुष्टि के लिए एक तंत्र तैयार करने के निर्देश दिए.
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने शुक्रवार (17 नवंबर) को कहा कि प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) के लिए बैंक खाते और अन्य सेवाओं को आधार के साथ जोड़ना अनिवार्य नहीं है. इसके साथ ही प्राधिकरण ने विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों को ऐसे लोगों की स्थिति की पुष्टि के लिए एक तंत्र तैयार करने के निर्देश दिए. प्राधिकरण की ओर से कहा गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग नियम 2017 और आय कर अधिनियम के तहत उन्हीं लोगों को बैंक खातों और पैन को क्रमशः आधार से जोड़ना निर्धारित है, जो आधार नामांकन के लिए पात्र है.
यूआईडीएआई ने कहा कि सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों, राज्य सरकारों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों को ध्यान रखना चाहिए कि दस्तावेज के रूप में आधार केवल उन लोगों से मांगा जा सकता है जो आधार अधिनियम के तहत पात्र हैं. ज्यादातर प्रवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ ओसीआई आधार नामांकन के लिए पात्र नहीं हो सकते हैं.
यूआईडीएआई ने राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा, “लाभ और सेवाओं के लिए आधार को जोड़ने या जमा करने संबंधी कानून आधार अधिनियम 2016 के अनुसार निवासियों के लिए लागू होते हैं… आधार अधिनियम के तहत अधिकांश एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई आधार नामांकन के लिए पात्र नहीं हो सकते.”
इससे पहले बीते 21 अक्टूबर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने स्पष्ट किया कि बैंक खातों को आधार से जोड़ना अनिवार्य है. बैंक ने साथ ही कहा कि उसने इस बारे में कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं, बल्कि यह भारत सरकार का फैसला है. शीर्ष बैंक ने स्पष्ट किया कि लागू मामलों में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (मेंटनेंस ऑफ रिकॉर्डस) द्वितीय संशोधन नियम, 2017 के तहत आधार नंबर को बैंक खातों से जोड़ना अनिवार्य है.
मनीलाइफ इंडिया द्वारा दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन में 18 अक्टूबर को आरबीआई ने कहा था, “सरकार ने 1 जून 2017 को मनी लॉन्ड्रिंग (मेंटनेंस ऑफ रिकॉर्डस) द्वितीय संशोधन नियम, 2017 के संबंध में एक राजपत्र अधिसूचना जीएसआर 538(ई) में दूसरी बातों के साथ-साथ बैंक खाता खोलने के लिए आधार (जो आधार के लिए नामांकित होने के पात्र हैं) और स्थायी नंबर (पैन) देने को अनिवार्य बना दिया है. यह ध्यान देने योग्य है कि रिजर्व बैंक ने अभी तक इस संबंध में निर्देश जारी नहीं किए हैं.”
अपनी स्थिति स्पष्ट करने हुए आरबीआई ने शनिवार (21 अक्टूबर) को एक बयान में कहा, “जिन मामलों में लागू होता है. उसमें आधार नंबर को बैंक खाते से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (मेंटनेंस ऑफ रिकॉर्ड्स) द्वितीय संशोधन नियम, 2017 के तहत जोड़ना अनिवार्य है. इसे 1 जून, 2017 के राजपत्र अधिसूचना में प्रकाशित किया गया है. ये वैधानिक नियम है और बैंकों को इस संदर्भ में आगे किसी निर्देश का इंतजार किए बिना इसे लागू करना है.” सरकार ने बैंक खातों के लिए 12 अंकों के बॉयोमीट्रिक पहचान संख्या (आधार) को जोड़ना अनिवार्य कर दिया है और इसकी अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2017 निर्धारित की गई है.