ऐसे में आपके पास एक नियमित आय वाला बिजनेस करने का मौका है. जानकारी के मुताबिक, सरकार 2000 नए लाइसेंस जारी कर चुकी है, जबकि मार्च तक 3400 और लाइसेंस जारी करने की संभावना है.
अगर आप भी अपना बिजनेस शुरू करने का मन बना रहे हैं तो आपके पास बेहतरीन मौका है. गैस एजेंसी खोलकर आप पैसा कमा सकते हैं. गैस कंपनियां आपको ये मौका दे रही हैं. दरअसल, ऑयल कंपनियां अपना डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बढ़ा रही हैं. कंपनियों का लक्ष्य वर्ष 2019 तक 5000 नए डिस्ट्रीब्यूटर बनाने का है. ऐसे में आपके पास एक नियमित आय वाला बिजनेस करने का मौका है. जानकारी के मुताबिक, सरकार 2000 नए लाइसेंस जारी कर चुकी है, जबकि मार्च तक 3400 और लाइसेंस जारी करने की संभावना है. हाल ही में ड्रॉ के जरिए 600 आवेदकों को चुना गया है. लाइसेंस मिलने के बाद गैस एजेंसी सेटअप करने में तकरीबन 1 साल का वक्त लगता है, क्योंकि इसमें कई जगह से मंजूरी लेनी होती है. ज्यादा मौके यूपी, बिहार, बंगाल, उड़ीसा और महाराष्ट्र में मिल रहे हैं.
इस तरह मिलेगी गैस एजेंसी
देश की तीनों सरकारी कंपनियां इंडेन, भारत गैस और एचपी गैस डीलर बनाने के लिए विज्ञापन और नोटिफिकेशन के जरिए आवेदन मंगाती हैं. वर्ष 2019 तक 5000 डिस्ट्रीब्यूटर और बनाए जाएंगे तो आपके पास ये मौका है कि एजेंसियों के विज्ञापन जरूर पढ़ें. अखबारों और इन तीनों कंपनियों की वेबसाइट पर इसके विज्ञापन जारी किए जाएंगे. कैंडिडेट को तय फॉर्मेट में अप्लाई करना होगा. आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद लॉटरी सिस्टम से डिस्ट्रीब्यूटर चुना जाएगा. प्रक्रिया को ट्रांसपेरेंट बनाने के लिए ऐसा किया गया है. लॉटरी से चुनाव होने के बाद जिन लोगों का नाम लिस्ट में आएगा उन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए बुलाया जाएगा.
10वीं पास को भी मिलेगी एलपीजी डीलरशिप
गैस एजेंसी खोलने के लिए एजुकेशनल क्वॉलिफिकेश पहले ग्रेजुएशन थी. लेकिन, अब इसे घटाकर 10वीं पास कर दिया गया है. जनरल या रेगुलेटर कैटेगरी में अब कम 10वीं पास भी एलपीजी डीलरशिप ले सकेंगे.
अब 60 साल तक उम्र वाले शामिल
ऑयल कंपनियों की तरफ से जारी नई गाइडलाइंस में अब 60 साल की उम्र तक एजेंसी ली जा सकती है. हालांकि, पहले एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप 21 से 45 साल तक की उम्र वाले लोगों को दी जाती थी.
‘फैमिली यूनिट’ में भी किया बदलाव
कंपनियों ने ‘फैमिली यूनिट’ की डेफ्निशन का भी विस्तार कर दिया गया है. आवेदक के अलावा पति या पत्नी, पैरेंट्स, भाई, बहिन सहित सौतेले भाई और बहिन, बच्चे सहित गोद लिए बच्चे, दामाद और भाभी, सास-ससुर और दादा-दादी को लिस्ट में शामिल किया गया है. हालांकि, पहले ‘फैमिली यूनिट’ में सिर्फ आवेदक, पति-पत्नी, अविवाहित बच्चे ही आते थे. अविवाहित आवेदक के मामले में पैरेंट्स, अविवाहित भाई-बहिन आते हैं, जबकि तलाकशुदा/विधवा के मामले में सिर्फ इंडिविजुअल और और अविवाहित बच्चे आते हैं.