भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश नवंबर के अंत तक घटकर 1.28 लाख करोड़ रुपये पर आ गया.
भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश नवंबर के अंत तक घटकर 1.28 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. इससे पिछले महीने पी-नोट्स के जरिये निवेश बढ़ा था. पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा उन विदेशी खिलाड़ियों को पी-नोट्स जारी किए जाते हैं जो भारतीय शेयर बाजार में भागीदारी करना चाहते हैं. उनको इसके लिए पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं होती. हालांकि, उन्हें जांच पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार भारतीय बाजारों, इक्विटी, ऋण और डेरिवेटिव्स में पी-नोट्स के जरिये निवेश नवंबर अंत तक घटकर 1,28,639 करोड़ रुपये रह गया. अक्टूबर के अंत तक यह आंकड़ा 1,31,006 करोड़ रुपये था.
जून, 2017 से ही पी-नोट्स के जरिये निवेश लगातार नीचे आ रहा है. सितंबर में यह आठ महीने के निचले स्तर पर चला गया. हालांकि, अक्टूबर में इसमें बढ़ोतरी हुई. माना जा रहा है कि सेबी के कड़े नियमों की वजह से पी-नोट्स के जरिये निवेश घट रहा है.
जानें क्या है पी-नोट्स
सहभागी नोट या पर्टिसिपेटरी नोट्स (Participatory Notes) उन प्रपत्रों (इंस्ट्रूमेंट्स) को कहते हैं जिन्हें पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक, विदेशों में स्थित निवेशकों को देते हैं ताकि वे सेबी में पंजीकृत हुए बिना भी भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकें. इन्हें पी-नोट्स (पी-नोट्स) भी कहते हैं.
विदेशी इन्वेस्टर्स को पी-नोट्स सेबी के पास रजिस्टर्ड फॉरन ब्रोकरेज फर्म्स या डोमेस्टिक ब्रोकरेज फर्म्स की विदेशी यूनिट्स जारी करती हैं. ब्रोकर इंडियन सिक्यॉरिटीज (शेयर, डेट या डेरिवेटिव्स) में खरीदारी करते हैं और फीस लेकर उन पर क्लायंट को पी-नोट्स इश्यू करते हैं.