करात ने कहा कि कर छूट के दायरे से बाहर रखे गये देशों में पैसा जमा करना नवउदार पूंजीवाद के दोहरे मानदंडों को दर्शाता है.
माकपा नेता प्रकाश करात ने कहा है कि हाल ही में पेराडाइज पेपर लीक मामले में हुये खुलासे से मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी से कालेधन पर रोक लगने के दावे की पोल खुल गयी है. करात ने माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रसी के आगामी अंक के संपादकीय लेख में कहा कि इस खुलासे से यह भी साफ हो गया है कि मोदी सरकार कालेधन के खिलाफ कितनी मुस्तैदी से लड़ रही है. करात ने कहा कि कर छूट के दायरे से बाहर रखे गये देशों में पैसा जमा करना नवउदार पूंजीवाद के दोहरे मानदंडों को दर्शाता है. उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह एक अंग्रेजी अखबार में हुये इस खुलासे में कर चोरी के लिये मुफीद माने गये देशों में कारोबार करने वालों की फेहरिस्त में 714 भारतीयों के नाम सामने आये हैं. करात ने इस मामले के खुलासे का हवाला देते हुये कहा कि कर चोरी के लिये उपयुक्त माने गये ‘‘टेक्स हेवन’’ देशों में कारोबार की अनुमति देने वाले प्रावधानों को दुरुस्त कर सरकार को कालेधन को जमा करने के इन दरवाजों को सख्ती से बंद करना चाहिये.
उल्लेखीय है कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा, भाजपा सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति सहित सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के नाम वैश्विक कर चोरी घोटाले में सामने आए 714 भारतीयों के नामों की सूची में शामिल है. ‘पैराडाइज पेपर्स’ खुलासे को लेकर सोमवार (6 नवंबर) को आई रपट में राजनीतिक व फिल्मी हस्तियों के अलावा कॉरपोरेट जगत के लोग व कंपनियों के नाम भी विदेशों में धन छिपाने वालों की फेहरिस्त में शामिल है.
रपट में गोपनीय ढंग से कर बचाकर सबसे ज्यादा धन विदेशों में जमा करने वाले नागरिकों वाले 180 देशों की सूची में 714 भारतीयों के नामों के साथ भारत का स्थान 19वां है. गुप्त जगहों से प्राप्त एक करोड़ 34 लाख दस्तावेजों से उपर्युक्त आंकड़ों व नामों का खुलासा हुआ है, जिसे पैराडाइज पेपर्स कहा गया है. गौर करने की बात यह है कि पैराडाइज पेपर्स का खुलासा पनामा लीक के दो साल बाद हुआ है, जबकि सरकार दो दिन बाद विमुद्रीकरण की सालगिरह पर कालाधन रोधी दिवस मनाने जा रही है.