वेंकैया नायडू ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा भारत में एक हजार आबादी में एक चिकित्सक के मानक से अलग प्रति 1,700 लोगों पर एक चिकित्सक होने की बात कही.
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार (5 नवंबर) को कहा कि निजी क्षेत्र और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के प्रयास में योगदान करना चाहिए, क्योंकि सरकार अकेले इन क्षेत्रों में बढ़ती स्वास्थ्य सुविधा की मांग पूरी नहीं कर सकती है. विजयवाड़ा में स्वर्ण भारत ट्रस्ट के स्वास्थ्य शिविर का उद्घाटन करते हुए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की कमी पर चिंता जताई. उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा भारत में एक हजार आबादी में एक चिकित्सक के मानक से अलग प्रति 1,700 लोगों पर एक चिकित्सक होने की बात कही.
उन्होंने केंद्रीय और राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करें. नायडू ने लोगों को आधुनिक और गतिहीन जीवनशैली की वजह से रोगों का शिकार होने पर चेताते हुए उनसे स्वस्थ जीवन जीने के लिए चहलकदमी, जॉगिंग, साइकिलिंग और योग जैसी शारीरिक गतिविधियों को करने का आग्रह किया.
उन्होंने चिकित्सा बिरादरी से आधुनिक जीवनशैली से होने वाले रोगों के जोखिमों और प्रतिरक्षात्मक उपायों को अपनाने की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करने और जागरूकता फैलाने की अपील की. उपराष्ट्रपति ने अफसोस जताया कि कुछ सरकारी अस्पतालों की अपर्याप्त सुविधाएं लोगों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर करती हैं. आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री कामिनेनी श्रीनिवास और जल संसाधन मंत्री देवेनेनी उमा महेश्वर राव भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे.