बिटक्वॉइन, यानी एक ऐसी करेंसी जिसका वजूद रुपए या डॉलर की तरह नहीं है. लेकिन, इसे आप वर्चुअली ग्लोबल पेमेंट में इस्तेमाल कर सकते हैं.
नोटबंदी के बाद बेशक कैश के तौर पर कालेधन पर लगाम लगी हो. बेशक प्रॉपर्टी के बाजार में लोगों ने कैश के लेन-देन को कम कर दिया हो. लेकिन, रियल एस्टेट में एक नया ट्रेंड तेजी से आगे आया है. बिटक्वॉइन, यानी एक ऐसी करेंसी जिसका वजूद रुपए या डॉलर की तरह नहीं है. लेकिन, इसे आप वर्चुअली ग्लोबल पेमेंट में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके जरिए ट्रांजैक्शन के लिए किसी सेंट्रल बैंक की जरूरत नहीं है और यही वजह है कि आज ये भारत के लिए बड़ा खतरा बनकर उभर रही है. कैसे भारत के कालाबाजार में बिटकाइन का सिक्का चल रहा है. आज हम यही खुलासा करने जा रहे हैं. जानने के लिए देखिए हमारी ये Exclusive रिपोर्ट…
सरकार की कोशिशें फेल
ये बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह से सरकार की कालेधन पर नकेल कसने की तमाम कोशिशें फेल हो रही हैं. ये बता रही हैं कि कैसे ब्लैक मनी की एक बार फिर से इंडियन मार्केट में वापसी हुई है. लेकिन, इस बार कैश के तौर पर नहीं. बल्कि क्रिप्टो करेंसी के तौर पर यानी बिटक्वॉइन बन रहा है ब्लैकमनी का अड्डा. नोटबंदी के बाद कैश ट्रांजैक्शन में कमी आई और ब्लैक मनी पर टिका प्रॉपर्टी बाजार लगभग ठप्प हो गया. ऐसे में बिटक्वॉइन अब रियल एस्टेट सेक्टर के लिए बूस्टर साबित हो रहा है.
प्रॉपर्टी मार्केट में बिटक्वॉइन का इस्तेमाल
दरअसल, प्रॉपर्टी बाजार में ब्लैक मनी के तौर पर अब कैश की जगह बिटक्वॉइन का इस्तेमाल हो रहा है. जहां पहले कैश इज किंग (cash is king) था. अब लेन-देन बिटक्वॉइन के जरिए हो रही है. NRIs भी इसी साइबर करेंसी के जरिए प्रॉपर्टी बाजार में पैसा लगा रहे हैं. बिटक्वॉइन के जरिए पैसा ट्रांसफर करना तो आसान होता ही है. इस करेंसी की वैल्यू भी रोज बढ रही है. 1 जनवरी को 1 बिटक्वॉइन करीब 68 हजार रुपए का था. आज इसकी कीमत 5 लाख 30 हजार रुपए है.
ऐसे फंसाया जाता है लोगों को
बिटक्वॉइन के जाल में लोगों को MLM (मल्टी लेवल मार्केटिंग) के जरिए फंसाया जाता है. निवेशकों को 300% तक के रिटर्न देने के वादे किये जाते हैं. एक स्कीम के तहत सबसे पहले निवेशक से 40,000 रुपए की मेम्बरशिप फीस ली जाती है और एक डिजिटल वॉलेट जारी कर दिया जाता है. पूरी लेनदेन किसी दूसरे देश में आधारित इस गैरकानूनी वॉलेट के जरिए की जाती है. निवेशक इसी ई-वॉलेट के जरिए प्रॉपर्टी बाजार में आ सकते हैं. जो भी नंबर दो की लेनदेन होती है, वो अब इन खातों के ज़रिए ही हो जाती है. कैश का नामोनिशान नहीं होता. सबसे बड़ी बात ये है कि इंटरनेट पर बिटक्वॉइन की लेनदेन भी ज़बरदस्त तरीके से होती है तो इस साइबर करेंसी में पैसा फंसने का भी सवाल नहीं है.
रोजाना 2500 यूजर्स जुड़ रहे हैं
एक अनुमान के मुताबिक देश में काम कर रहे एक बिटक्वॉइन exchange… Cryptocoin में रोजाना 2,500 यूजर्स जुड़ रहे हैं और 5 लाख से ज़्यादा बिटक्वॉइन डाउनलोड हो चुके हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और सरकारी एजेन्सियों को इसे रेगुलेट करने के तरीकों पर मंथन करने को कहा है. बिटक्वॉइन को कोई सरकार रेगुलेट नहीं करती, हर नियम, कायदे और कानून के दायरे से ये बाहर है. ये एक डिजिटल करेंसी है जिससे आप सिर्फ ऑनलाइऩ खरीद फरोख्त कर सकते हैं. ये कैसे होता है आपको समझाते हैं इस रिपोर्ट के ज़रिए…
1. बिटक्वॉइन को लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ चुकी है, क्योंकि ये एक encrypted करेंसी है
2. आप इसे किसी भी एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे व्यक्ति के वॉलेट में भेज सकते हैं, इस बीच ना कोई बैंक आता है, ना कोई ATM और ना ही कोई रेगुलेटर.
3. ये पूरी तरह से PEER TO PEER ट्रांजैक्शन होता है, यानि एक व्यक्ति के कंम्प्यूटर से दूसरे व्यक्ति के कंप्यूटर तक.
कैसे होती है इसकी ट्रांजैक्शन
अब सवाल उठता है कि इसका ट्रांजैक्शन होता कैसे है, कैसे ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के वॉलेट तक पहुंचता है. मान लीजिए भारत में बैठे किसी व्यक्ति ने अमेरिका में बैठे किसी व्यक्ति को 10 बिटक्वॉइन भेजे. इस ट्रांजैक्शन को वेरिफाई करने के लिए बीच में सैकड़ों बेहद शक्तिशाली कंप्यूटर्स होते हैं जो बड़े बड़े सर्वर्स से जुड़े होते हैं. उन पर बैठे होते हैं कुछ लोग, जिन्हें माइनर्स कहा जाता है. इन माइनर्स को एक ALGORITHM यानि मैथमैटिकल प्रॉब्लम को हल करना पड़ता है, जो भी माइनर इसे जल्दी से सॉल्व करता है, पेमेंट दूसरी पार्टी को चली जाती है, और इसमें 45 सेकेंड से भी कम का वक्त लगता है. ALGORITHM सॉल्व करने के बदेल माइनर्स को ईनाम के तौर पर कुछ बिटक्वॉइन मिल जाते हैं. इस पूरे प्रोसेस को बिटक्वॉइन माइनिंग कहते हैं.