यह मामला माल्या की पूर्व कंपनी किंगिफशर एयरलाइंस द्वारा बैंकों के समूह से लिये गये करीब 2,000 करोड़ रुपये के कर्ज पर केंद्रित है.
लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में शराब कारोबारी विजय माल्या की प्रत्यर्पण सुनवाई में भारत की जेल प्रणाली की तुलना रूस के कारागारों के हालात से हुई. 61 वर्षीय माल्या के बचाव दल ने भारत सरकार की ओर से क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) द्वारा धोखाधड़ी के मामले में तैयार किये गये मामले के जवाब में शुरुआती दलीलों के तहत इस मुद्दे को उठाया. बचाव पक्ष ने जज एम्म आर्बुथनॉट से कहा कि भारत में जेलों में सुरक्षित हालात पर भारतीय अधिकारियों द्वारा दिये गये आश्वासनों के सही से अनुपालन की कोई प्रणाली नहीं है.
माल्या के बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमेरी ने अदालत में कहा, ‘‘सरकार (भारत की) अदालत के आदेशों की अवहेलना को दूर करने के उपायों को लेकर असमर्थ और अनिच्छुक रही है.’’ न्यायाधीश ने पूछा कि रूस में जेलों में खराब हालात की तुलना कैसे हो सकती है जहां प्रत्यर्पण के मामले कारावासों के असुरक्षित हालात पर निर्भर करते हैं. मोंटगोमरी ने कहा कि रूस के हालात भारत से बहुत बेहतर हैं क्योंकि वे कम से कम अदालत के आदेशों के उल्लंघन की समीक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को अनुमति देते हैं. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह रोचक बात है.’’
इससे पहले शराब कारोबारी विजय माल्या के वकीलों ने ब्रिटेन की अदालत में प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई के दूसरे दिन मंगलवार (5 दिसंबर) को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रत्यर्पण निदेशालय (ईडी) पर निशाना साधा. वेस्टमिंस्टर की मजिस्ट्रेट अदालत में जारी सुनवाई के दौरान उनके वकीलों ने कहा कि सीबीआई और ईडी का राजनीति से प्रेरित होने का इतिहास रहा है. माल्या की वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने न्यायाधीश एम्मा अर्बुथनॉट को बताया कि सीबीआई अदालत में लाये मामलों में राजनीति से प्रेरित होने के लिए जानी जाती रही है. यह भी संयोग नहीं हो सकता है कि भारत में चुनाव के साल के दौरान माल्या पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप अधिक मुखर हुए.
उन्होंने सीबीआई पर राजनीतिक आकाओं से समय-समय पर प्रभावित होने का आरोप लगाते हुए कहा कि ईडी के बारे में भी ऐसा कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस मामले में भी साक्ष्यों का राजनीतिकरण किया गया है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस एवं शिवसेना समेत अन्य पार्टियों ने भी इस मामले को राजनीतिक फायदे के अवसर की तरह इस्तेमाल किया. उल्लेखनीय है कि माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण मामले की ब्रिटेन की अदालत में सोमवार (4 दिसंबर) से सुनवाई शुरू हुई है. सोमवार को भारत सरकार के वकीलों ने अपना पक्ष रखा था.