सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं से आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ने के केंद्र के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर शुक्रवार सुबह शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया है.
सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सहमति जताई है. सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं से आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ने के केंद्र के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर शुक्रवार सुबह शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया है. पांच जजों की पीठ ने बैंक खातों और मोबाइल नंबर को लिंक कराने की डेडलाइन को बढ़ाकर 31 मार्च तक कर दिया है. अदालत ने सभी बैंक खातों को आधार से लिंक कराने की अंतिम तिथि 31 मार्च तक बढ़ा दी है. लेकिन नए बैंक खातों के लिए आधार देना होगा. आधार न होने की दशा में ग्राहक को एनरोलमेंट देना होगा.
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए मोबाइल सेवाओं को आधार से जोड़ने की छह फरवरी की समयसीमा को भी 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया है. इस दौरान अदालत ने बैंक खाते के संबंध में कहा कि आधार के बिना भी बैंक में नया खाता खुलवाया जा सकता है लेकिन आवेदक को इस बात का सबूत देना होगा कि उसने आधार कार्ड के लिए आवेदन दिया है.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश भी दिया कि आधार की वैधता पर 17 जनवरी से सुनवाई करेगा. इससे पहले आधार से जोड़ने की अनिवार्यता के सरकार के फैसले पर रोक लगाने के बारे में गुरुवार को शीर्ष अदालत ने सुनवाई पूरी कर ली थी. आपको बता दें कि सरकार ने पिछले दिनों पैन से आधार जोड़ने की अनिवार्यता की समय सीमा बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दी है. लेकिन इसके साथ सरकार ने कुछ शर्तें भी लगाई थी.
इससे पहले आधार की अनिवार्यता पर गुरुवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि आधार योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई अगले साल 17 जनवरी से की जाएगी. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल थे.