सरकार 500 रुपये और इससे छोटे मूल्य के नोटों की छपाई और आपूर्ति पर ज्यादा जोर दे रही है, ताकि लोग बड़ी राशि वाले नोटों को दबाकर न रख सकें. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि फिलहाल 500 रुपये या इससे छोटे नोटों को बाजार में ज्यादा से ज्यादा पहुंचाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि लोगों के पास छोटे नोट अधिक हों. उन्होंने कहा कि ऐसी आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं कि 2000 रुपये के नोटों को फिर से दबाकर रखा जा सकता है, (लेकिन) यह नहीं होना चाहिए. नोटबंदी के फौरन बाद 2000 रुपये मूल्य का नोट लाने के सरकार के कदम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसके पीछे शुरुआती मकसद नई मुद्रा को जल्द से जल्द बाजार में लाना सुनिश्चित करना था.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गत शुक्रवार को कहा था कि सरकार के सामने 2,000 रुपये के नोट को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. जेटली ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तिजोरी में 10 दिसम्बर तक पुराने 500 और 1000 रुपये के बंद किए गए 12.44 लाख करोड़ नोट वापस लौटे.
वित्त मंत्री ने कहा कि इस संबंध में प्राप्त आंकड़ों में लेखा की गलतियों और दोबारा गिनने जैसी त्रुटियां संभव हैं, इसलिए अंतिम आंकड़े जमा हुए एक-एक नोट को गिनने के बाद ही जारी किए जाएंगे. जेटली ने कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था स्वच्छ हुई है और बैंकों में जमा में बढ़ोतरी हुई है. इससे ब्याज दरों को घटाने तथा और अधिक कर्ज मुहैया कराने में बैंकों को मदद मिलेगी.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की, जिसके तहत 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया. इससे एक तरह से लगभग 86 प्रतिशत मुद्रा चलन से बाहर हो गई. सरकार ने इसके साथ ही नोटों का आकार भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा निर्देशों के अनुरूप छोटा किया है. इसके परिणामस्वरूप नोटों की छपाई 20 प्रतिशत बढ़ी है.