भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत काम भी शुरू हो गया है. भारतमाला प्रोजेक्ट का काम पूरा होने के बाद शहरों के बीच आवागमन में आसानी होगी और जाम की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.
देश के बड़े-बड़े शहरों में प्रॉपर्टी मार्केट मंदी से गुजर रहा है. ऐसे में कंपनियां भी रियल्टी मार्केट में जान फूंकने के लिए ग्राहकों को तमाम ऑफर दे रही हैं. रीयल एस्टेट मार्केट में अस्थितरता के बीच इनवेस्टर्स भी प्रॉपर्टी मार्केट में निवेश कम कर रहे हैं. ऐसे में यदि केंद्र या राज्य सरकार किसी शहर में कोई खास प्रोजेक्ट लाती है तो वहां पर इनवेस्टमेंट करना आपके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. पिछले दिनों मोदी सरकार ने भारत माला प्रोजेक्ट के तहत देश के करीब 80 शहरों में रिंग रोड और बाइपास बनाने की घोषणा की है.
भारत माला प्रोजेक्ट के तहत काम भी शुरू हो गया है. भारत माला प्रोजेक्ट का काम पूरा होने के बाद शहरों के बीच आवागमन में आसानी होगी और जाम की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा. जानकारों का कहना है कि इस तरह के प्रोजेक्ट से संबंधित शहर के प्रॉपर्टी बाजार में तेजी आने की पूरी उम्मीद रहती है. राजधानी दिल्ली के साथ ही एनसीआर में ही जिन इलाकों में ट्रांसपोर्टशन की सुविधा बढ़े, वहां के प्रॉपर्टी के दामों में तेजी से उछाल आया है.
निवेश का अच्छा मौका
ऐसे में जानकारों को उम्मीद है कि जिन शहरों में भारत माला प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ काम होगा, उन शहरों की प्रॉपर्टी की कीमतों में तेजी आएगी. इस उम्मीद के साथ ही यदि आप इन संबंधित शहरों में अभी निवेश करते हैं तो आने वाले समय में आपको इससे अच्छा रिटर्न मिल सकता है. यदि पहले से ही आपकी प्रॉपर्टी उस शहर में है तो इसे कुछ समय के लिए होल्ड करना आपके लिए और फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
अभी प्रॉपर्टी मार्केट में कीमत स्थित हैं. यदि आप इनवेस्टमेंट का मन बना रहे हैं तो भारतमाला प्रोजेक्ट से जुड़े शहरों का भी रुख कर सकते हैं. दरअसल सरकार ने भारतमाला प्रोजेक्ट के देश के चुनिंदा शहरों में बाइपास और रिंग रोड बनाने को मंजूरी दी है. इस सबसे बड़े हाईवे प्लान के तहत अगले 5 साल में लगभग 83 हजार किमी से ज्यादा लंबे हाईवे का निर्माण किया जाएगा. प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में 24800 किलोमीटर का नेशनल हाइवे बनाया जाएगा.
प्रोजेक्ट के लिए बोलियां मंगाई जाएंगी
प्रोजेक्ट के लिए अगले 3-6 महीने में बोलियां मंगाई जाएंगी. वित्त वर्ष 2018 में ही 4500 किमी हाइवे के लिए ठेके दिए जाने हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत हर साल 7000-10000 किमी की सड़क बनाई जाएगी. प्रोजेक्ट की लागत का 20 फीसदी हिस्सा सरकार खुद वहन करेगी. आगे हम आपको बता रहे हैं कि किन शहरों में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बाइपास और रिंगरोड का निर्माण किया जाएगा. यह जानकारी आपको इनवेस्टमेंट के लिए शहर का चयन करने में मदद करेगी.
इन शहरों में बनेगा बाइपास
केंद्र ने इस प्रोजेक्ट के तहत 51 शहरों में बाइपास निर्माण का निर्णय लिया है. इनमें लुधियाना, आगरा, वाराणसी, औरंगाबाद, अमृतसर, ग्वालियर, सोलापुर में 4 बाइपास, नादेंड में 2, जालंधर, फिरोजाबाद, सिलीगुड़ी, जलगांव, कोझिकोडी, कुरनॉल, बोकारो, बेलारी, धुले, बिलासपुर, देवास में 2, जलाना, सागर, मिर्जापुर, रायचूर, गंगा नगर, होसपत, ऑनगोल, मोर्वी, रायगंज, पनवेल, विदिशा, सासाराम, छत्तरपुर, बागलकोट, सिहोर, जहानाबाद, नागौर चिलाकलुरपित, रिनीगुंटा, सांगरेड्डी, इम्फाल, सिलचर, शिलांग, डिब्रुगढ़, दीमापुर, उदयपुर, हिंगघाट और चित्रदुर्गा को शामिल किया गया है. अभी तक इन शहरों के बीच अलग-अलग हाइवे गुजर रहे हैं. लेकिन अब इन शहरों में जाम कम करने के लिए बाइपास बनाने का निर्णय लिया गया है. ऐसे में आप बाइपास के आस-पास इनवेस्टमेंट कर अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं.
यहां बनेंगी रिंग रोड
सरकार 28 शहरों में रिंग रोड बनाने पर काम कर रही है. इनमें पुणे, बंगलुरु, संभल पुर, मदुरैई, इंदौर, धुले, रायपुर, शिवपुरी, दिल्ली, भुवनेश्वर, गुरुग्राम, सूरत, पटना, लखनऊ, वाराणसी, विजयवाड़ा, चित्रदुर्ग, अमरावती, सागर, सोलापुर, जयपुर, बेलगाम, नागपुर, आगरा, कोटा, धनबाद, उदयपुर, रांची शामिल हैं. जानकारों का कहना है कि रिंग रोड और बाइपास रोड से शहरों में कनेक्टविटी बढ़ेगी. शहरों के अंदर भीड़ कम होगी और इनके आस-पास इनवेस्टमेंट करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
क्या है भारतमाला
1. भारतमाला सरकार का एक मेगा हाईवे प्लान है. यह एनएचडीपी के बाद दूसरा सबसे बड़ा हाइवे प्रोजेक्ट है.
2. पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने एनएचडीपी (नेशनल हाइवे डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट) शुरू किया था. इसे कई फेज में लागू किया गया. इसमें मेट्रो शहरों को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना भी शामिल थी.
3. एनएचडीपी के तहत कई हजार किमी रोड अभी बनाए जाने हैं.
4. श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ने वाला नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर और पोरबंदर से सिल्चर से जोड़ने वाला ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर भी इसमें शामिल है.