ऐसी संभावना है कि कृषि क्षेत्र के लिए ऋण वितरण लक्ष्य अगले वित्त वर्ष के लिए बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये कर कर दिया जायेगा.
कृषि क्षेत्र में ऋण उपलब्धता बढ़ाने के लिये सरकार आगामी बजट में कृषि ऋण लक्ष्य बढ़ाकर रिकॉर्ड 11 लाख करोड़ रुपये कर सकती है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. इस साल कृषि ऋण लक्ष्य में एक लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की जा सकती है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के दौरान कृषि ऋण लक्ष्य 10 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. इसमें से पहले छह महीने में सितंबर तक 6.25 लाख करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया जा चुका है. सूत्रों ने कहा, ‘‘सरकार की प्राथमिकता कृषि है. ऐसी संभावना है कि कृषि क्षेत्र के लिए ऋण वितरण लक्ष्य अगले वित्त वर्ष के लिए बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये कर कर दिया जायेगा.’’
उन्होंने कहा कि चूंकि उच्च कृषि उत्पादन हासिल करने के लिए ऋण महत्वपूर्ण कारक है, संस्थागत ऋण की उपलब्धता से उन्हें मदद मिलेगी और वह गैर-संस्थागत निवेशकों से अनुचित दरों पर ऋण लेने के लिए बाध्य नहीं होंगे.’’ सामान्य तौर पर कृषि ऋण 9 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध होता है लेकिन सरकार इस पर ब्याज सहायता उपलब्ध कराती रही है. तीन लाख रुपये तक का अल्पकालिक कृषि ऋण सात प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध होता है.
सरकार दो प्रतिशत ब्याज सहायता देती है. इसके अलावा समय पर कर्ज लौटाने वालने किसानों को तीन प्रतिशत की अतिरिक्त रियायत मिलती है. इसके बाद वास्तविक ब्याज दर चार प्रतिशत रह जाती है. सरकार की तरफ से सस्ता कृषि ऋण उपलब्ध कराने पर अपने पैसे का इस्तेमाल करने की स्थिति में सार्वजिनक क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को ब्याज सहायता उपलब्ध कराई जाती है. सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित सुविधा के लिये नाबार्ड को सहायता दी जाती है.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बीते 14 जनवरी को कहा कि सरकार ने कृषि को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा है और सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आर्थिक विकास का लाभ किसानों तक भी पहुंचे ताकि समानता लाई जाए. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नेशनल कमोडिटी व डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर ग्वारसीड में ऑप्शंस ट्रेडिंग का नया डेरिवेटिव्स टूल लांच करने के अवसर पर बोल रहे थे.
एक फरवरी को बजट पेश होने के पूर्व वित्तमंत्री के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि चालू वित्त वर्ष में कृषि विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है. कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कई प्रमुख कृषि उत्पादक प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और 2019 में लोकसभा चुनाव भी है. ये सारे ऐसे कारक हैं जो बजटीय आवंटन में कृषि क्षेत्र को प्रमुखता देने में प्रभावकारी बन सकते हैं.