पूर्व गवर्नर राजन ने कहा, भारत को मुद्रा में गड़बड़ी करने वाला न कहे अमेरिका

पूर्व गवर्नर राजन ने कहा, भारत को मुद्रा में गड़बड़ी करने वाला न कहे अमेरिका

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एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में राजन ने कहा कि भारत बार बार मदद के लिए आईएमएफ के पास नहीं भाग सकता क्योंकि यह बहुत बड़ा देश है

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि अमेरिकी वित्त विभाग को भारत को ‘मुद्रा में गड़बड़ी करने वाला’ नहीं बताना चाहिए क्योंकि इस देश को​ निकासी में किसी तरह के उछाल के खिलाफ अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार सृजित करना है. फिलहाल शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर राजन ने कहा है कि भारत के पास चालू खाते का घाटा है जो कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल होने पर बड़ा हो सकता है.

एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में राजन ने कहा कि भारत बार बार मदद के लिए आईएमएफ के पास नहीं भाग सकता क्योंकि यह बहुत बड़ा देश है और यह राजनीतिक रूप से भी बहुत मुश्किल होगा इसलिए किसी भी तरह की निकासी के हालात में बचाव के लिए उसे मुद्रा भंडार तो बनाना ही होगा.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में कुछ रपटों में अमेरिकी वित्त विभाग के हवाले से कहा गया था कि वह भारत की विदेशी मुद्रा विनिमय दर व आर्थिक नीतियों पर निगाह रखेगा. इसके साथ ही राजन ने भारत की विनिमय दर को भी ‘बहुत ही स्वस्थ मूल्यांकित’ करार दिया.

इससे पहले रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन अमेरिका के केंद्रीय बैंक की अगुवाई के लिये एक उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं. वैश्विक वित्तीय पत्रिका बैरोन्स ने यह कहा है. ऐसी संभावना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फेडरल रिजर्व के नये प्रमुख के नाम की घोषणा जल्द करेंगे. मौजूदा प्रमुख जेनेट येले का कार्यकाल अगले वर्ष की शुरुआत में समाप्त हो रहा है. पत्रिका बैरोन्स में छपे एक आलेख में लिखा है, ‘‘अगर खेल टीमें दुनियाभर से बेहतर प्रतिभाओं को शामिल कर सकतीं हैं तो फिर केंद्रीय बैंक में ऐसा क्यों नहीं? पत्रिका में राजन को फेडरल रिजर्व का अगला प्रमुख बनाये जाने की वकालत की गयी है.

इसमें कहा गया है कि पहले भी ऐसे उदाहरण हैं जब दूसरे देश के नागिरक ने केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी संभाली. कनाडा में जन्में मार्क कार्ने ने बैंक ऑफ इंगलैंड की जिम्मेदारी संभाली थी. फेडरल रिजर्व के प्रमुख के तौर पर राजन के नाम पर कोई जोर नहीं दे रहा है हालांकि, उनका नाम अर्थशास्त्र के क्षेत्र में संभावित नोबेल पुरस्कार पाने वालों की सूची में था.

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